राज्यसभा चुनाव : भाजपा के सियासी चक्रव्यूह में फंसी बसपा के अंबेडकर की जीत
राज्यसभा की नौवीं सीट के लिए कांग्रेस में सेंध की कोशिश में जुटे भाजपाई दिग्गज...

आलोक पांडेय
लखनऊ. भाजपा की तिकड़म में विपक्ष की सियासत उलझ गई है। मौजूदा स्थितियों में राज्यसभा चुनाव में विपक्ष के साझा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की जीत दूर की कौड़ी दिखती है। कारण यह कि सपा के तीन विधायकों ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से भाजपा उम्मीदवार को वोट देने का इरादा जाहिर कर दिया है। ऐसे में तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन और सपा के तीन बागियों की बदौलत भाजपा नौवीं सीट भी हथियाने के करीब पहुंचती दिख रही है। उधर, नरेश अग्रवाल की बगावत के बाद सपा के लिए यह तय करना मुश्किल है कि सपा उम्मीदवार के लिए किन विधायकों को निष्ठावान मानकर शेष विधायकों को गठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग करने के लिए बोला जाए।
भाजपा की आठ सीट पक्की, नौवीं के लिए मशक्कत
राज्यसभा चुनाव में विधानसभा के मौजूदा गणित के हिसाब से 324 विधायकों की बदौलत भाजपा आठ सीट पर पक्के तौर पर जीतेगी। नौवीं सीट के लिए पार्टी के पास 28 विधायकों के अतिरिक्त वोट हैं। गौरतलब है कि एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के वोट चाहिए, इस लिहाज से सिर्फ 296 विधायकों के जरिए भाजपा आठ सीटों को जीत लेगी। नौवीं सीट जीतने के लिए भाजपा को नौ वोटों की दरकार थी, जोकि अमनमणि त्रिपाठी, रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) और प्रतापगढ़ की बाबागंज सीट से निर्दलीय विधायक और राजा भैया के खास विनोद कुमार की मदद से कम हो गई है। शेष छह वोटों की जुगत में जुटी भाजपा को अब सपा के नितिन अग्रवाल का वोट मिलना भी पक्का हो गया है। पार्टी को मौजूदा स्थिति में सिर्फ पांच वोटों का इंतजाम करना है।
सपा के पांच और कांग्रेस के तीन विधायक संदिग्ध
राजनीतिक चर्चा के अनुसार चुनावी चकल्लस में सपा बुरी तरह उलझी है। नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल की बगावत के बाद फिरोजाबाद के विधायक हरिओम यादव ने बगावत का परचम उठा लिया है। हरिओम ने सीधे रामगोपाल से पंगा लेकर फिरोजाबाद जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा उम्मीदवार को मैदान से बेदखल कर दिया। इसके बाद रामगोपाल ने हरिओम पर आठ करोड़ लेकर भाजपा से डील करने का आरोप भी लगाया है। दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश से नाराज शिवपाल सिंह यादव को वोट भी सपा के खाते में जाना मुश्किल दिखता है। इसके साथ ही नरेश से निकटता रखने वाले सपा के दो अन्य विधायक तथा कांग्रेस के कुल सात विधायकों में तीन विधायक भी भाजपा के संपर्क में बताए जाते हैं।
जया बच्चन जीत जाएंगी, लेकिन भीमराव फंस गए
भाजपा की सियासी शतरंज में भीमराव अंबेडकर की जीत फंस गई है। अब बसपा उम्मीदवार को बसपा के 19 वोटों के अलावा सपा के पांच वोट और कांग्रेस के चार वोट मिलना पुख्ता है। इसके अतिरिक निषाद पार्टी और रालोद के एक-एक विधायक भी भीमराव अंबेडकर के पक्ष में मतदान करेंगे तो उन्हें कुल 30 वोट मिलेंगे, जोकि जीत के लिए जरूरी वोटों से सात कम होंगे। ऐसी स्थिति में यदि दूसरी वरीयता के वोटों से दसवीं सीट का नतीजा तय किया जाएगा तो विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा की जीत तय है।
सपा के लिए सत्यनिष्ठा वाले विधायक छांटना मुश्किल
उधर, विधायकों की सत्यनिष्ठा संदिग्ध होने के कारण जया बच्चन की जीत तय करने के लिए सत्यनिष्ठा वाले 37 विधायकों के नाम तय करना सपा के लिए मुसीबत बन गया है। पार्टी के 47 विधायकों में तमाम ऐसे हैं, जिनका संबंध शिवपाल सिंह यादव और नरेश अग्रवाल के साथ हैं। सूत्रों के मुताबिक, ऐसे विधायकों को संदिग्धों की श्रेणी में रखा गया है। राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग 23 मार्च को प्रस्तावित है। इस दरम्यान सपा के सुल्तान अखिलेश यादव पार्टी के वफादार विधायकों को जया बच्चन के लिए वोट करने के लिए चुनेंगे, शेष विधायकों को बसपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए कहा जाएगा।

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