आईआईटीआर के डायरेक्टर डॉ. आलोक धवन के मुताबिक, पिछले साल दीपावली पर पीएम-10 515 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर था। पीएम 2.5 का स्तर 316 माइक्रोग्राम/क्यूबिकमीटर नापा गया था। इस बार इससे कम ये आंकड़ा रह सकता है। पिछले साल रिपोर्ट के मुताबिक, मौसम साफ होने के कारण भी गैसें आसानी से ऊपर चली गईं। साथ ही पटाखे भी कम जलाए गए। हालांकि पिछलीबार की अपेक्षा पटाखों का शोर इस बार आईटी कॉलेज चौराहे पर औरअमौसी एयरपोर्ट के पास ज्यादा सुनाई दिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वमुताबिक, इस बार दीपावली की रात पटाखों का शोर सबसे अधिक अलीगंज स्थित रीजनल साइंस सेंटर के पास, 76 डेसिबल रहा। इंदिरानगर में 75.07डेसिबल, आईटी कॉलेज के पास 72.71 डेसिबल शोर रहा। सबसे कम शोर एसजीपीजीआईके पास, 61.78 डेसिबल मापा गया।
शोर मचने वाले पटाखे कम शहर में शोर करने वाले पटाखे कम जलने के आसार हैं। इनके मुकाबले रोशनी वाले पटाखे ज्यादा जलेंगे। दरअसल, इस बार मार्केट में ही तेज धमाका करने वाले पटाखे कम आए हैं। अगर आप बहुत तेज आवाज वाले पटाखे खरीदना चाहते हैं तोबार आपको निराशा ही हाथ लगेगी। यहां तक कि 500 से 3000 राउंड क्षमता वाले चटाई बम भी बाजार में कम देखने को मिलेंगे।
पटाखों के थोक व्यवसायी गुलशेर आजाद के मुताबिक, इस बार रोशनी वाले पटाखे खूब आए हैं। इनकी कीमत 15 रुपये से 15 हजार रुपये तक है। महंगे पटाखों में एक हजार लाइट एक साथ निकल रही हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले अनार भी खूब हैं। इनकी कीमत 450 से 1500 रुपये तक है। गुलशेर बताते हैं कि दुकानों पर इस बार पटाखों के 200 से ज्यादा आइटम हैं, लेकिन इनमें धमाका करने वाली चटाई और बम के बजाय सीटी बजाने वाली लाइटें ज्यादा हैं। उनकी दलील है कि पटाखा निर्माताओं ने ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से धमाके वाले पटाखे बनाने कम कर दिए हैं।