लखनऊ

आईये जानते हैं कब जारी हुआ दुनिया का पहला पोस्टकार्ड

लखनऊ में हर माह डाकघरों से 10 हजार पोस्ट कार्डों की होती है बिक्री

लखनऊSep 30, 2019 / 07:57 pm

Ritesh Singh

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लखनऊ , social media में खोई युवा पीढ़ी का पाला भले ही Postcard से न पड़ा हो, पर एक दौर में Postcard खत भेजने का प्रमुख जरिया था। शादी-ब्याह, शुभकामनाओं से लेकर मौत की ख़बरों तक तो इन पोस्टकार्डों ने सहेजा है। अपना वही पोस्टकार्ड 1 अक्टूबर, 2019 को वैश्विक स्तर पर 150 साल का हो गया। दुनिया में पहला पोस्टकार्ड 1 अक्तूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में जारी किया गया था। लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि अकेले राजधानी लखनऊ में हर माह औसतन 10 हजार पोस्टकार्डों की बिक्री होती है। अप्रैल 2019 से अभी तक 53 हजार से ज्यादा पोस्टकार्डों की डाकघरों द्वारा बिक्री की जा चुकी है।
पहला पोस्टकार्ड था इस रंग का

लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि दुनिया में पहला Postcard 1 अक्तूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में जारी किया गया था। इसके पीछे की कहानी के बारे में श्री यादव बताते हैं कि, पोस्टकार्ड का विचार सबसे पहले ऑस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था। जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एमैनुएल हर्मेन को बताया। उन्हें यह विचार काफी आकर्षक लगा और उन्होंने 26 जनवरी 1869 को एक अखबार में इसके बारे में लेख लिखा। ऑस्ट्रिया के डाक मंत्रालय ने इस विचार पर बहुत तेजी से काम किया और पोस्टकार्ड की पहली प्रति एक अक्तूबर 1869 में जारी की गई। यहीं से पोस्टकार्ड के सफर की शुरुआत हुई। दुनिया का यह प्रथम पोस्टकार्ड पीले रंग का था। इसका आकार 122 मिलीमीटर लंबा और 85 मिलीमीटर चौड़ा था। इसके एक तरफ पता लिखने के लिए जगह छोड़ी गई थी, जबकि दूसरी तरफ संदेश लिखने के लिए खाली जगह छोड़ी गई।
East India Postcard

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारत में First postcard 1879 में जारी किया गया। हल्के भूरे रंग में छपे इस पहले पोस्टकार्ड की कीमत 3 पैसे थी और इस कार्ड पर ‘ईस्ट इण्डिया पोस्टकार्ड’ छपा था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था और ऊपर की तरफ दाएं कोने मे लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने साम्राज्ञी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। अंदाज़-ए-बयां का यह माध्यम लोगों को इतना पसंद आया कि साल की पहली तीन तिमाही में ही लगभग 7.5 लाख रुपए के पोस्टकार्ड बेचे गए थे।
भारत के डाकघरों में चार तरह के पोस्टकार्ड मिलते हैं


मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड और कम्पटीशन पोस्टकार्ड । ये क्रमश : 25 पैसे, 50 पैसे, 6 रूपये और 10 रूपये में उपलब्ध हैं। इन चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई 9 सेंटीमीटर होती है।
पोस्टकार्ड अभियान

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि कम लिखे को ज़्यादा समझना की तर्ज पर पोस्टकार्ड न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि तमाम सामाजिक-साहित्यिक-धार्मिक-राजनैतिक आंदोलनों का गवाह रहा है। पोस्टकार्ड का खुलापन पारदर्शिता का परिचायक है तो इसकी सर्वसुलभता लोकतंत्र को मजबूती देती रही है। आज भी तमाम आंदोलनों का आरम्भ पोस्टकार्ड अभियान से ही होता है। ईमेल, एसएमएस, फेसबुक, टि्वटर और व्हाट्सएप ने संचार की परिभाषा भले ही बदल दी हो, पर पोस्टकार्ड अभी भी आम आदमी की पहचान है।
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