हाईकोर्ट में लंबित लाइसेंस संबंधी याचिका चिकन व्यवसाइयों के लाइसेंस का मामला कोर्ट में लंबित है। उत्तर प्रदेश पोल्ट्री परिवार की ओर से 2017 में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कृषि के अन्य उत्पादों की तरह चिकन उत्पाद को भी लाइसेंस फ्री रखने को कहा गया था। अभी यह याचिका विचाराधीन है। चिकन उत्पादकों का कहना है कि लाइसेंस के लिए जो शर्तें लागू की गई हैं, वह स्लॉटर हाउस से संबंधित हैं। चिकन का उत्पादन स्लॉटर हाउस में नहीं होता है। इसीलिए कई वर्षों से चिकन उत्पादकों के लाइसेंस नहीं बने हैं।
पोल्ट्री उत्पादन में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हरियाणा और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा नंबर आता है। यहां हर रोज तीन करोड़ अंडों की खपत है, जिसमें से 1.7 करोड़ अंडों का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है और 1.3 करोड़ अंडों को हर रोज पंजाब-हरियाणा से आयात किया जाता है। इसी तरह हर महीने चिकन की खपत लगभग तीन लाख मीट्रिक टन है। अंडे और चिकन की इस मांग को पूरा करने के लिए पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ा। लेकिन किसानों और व्यापारियों को हुए नुकसान ने इसे कई सालों पीछे कर दिया है, छोटे फार्म वाले सबसे ज्यादा संकट में हैं।
कर्ज में दो साल की रियायत की मांग पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिख रियायतें मांगी है। पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश खत्री के अनुसार, लोन में दो साल का मोरेटोरियम, प्रति मुर्गा 100 रुपये की मदद और पहले कर्ज में दो साल की छूट की मांग की है।