प्रभावशाली क्राउड मैनेजमेंट प्लान जरूरी :- उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सोमवार को माघ मेला 2020-21 की तैयारियों को लेकर कहाकि, माघ मेले में आने वाले सभी कल्पवासियों की आरटी-पीसीआर जांच जरूर कराई जाए। माघ मेले में रोजाना आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी रैपिड एंटीजन टेस्ट अथवा थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। अगर किसी श्रद्धालु में संक्रमण पाए जाते हैं तो उसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इसके अतिरिक्त माघ मेला क्षेत्र में सैनेटाइजेशन कार्य नियमित रूप से करने के निर्देश जारी किए गए हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रभावशाली क्राउड मैनेजमेंट प्लान बनाने को भी कहा है।
व्यवहार कुशल और धैर्यवान पुलिस कर्मियों की लगी ड्यूटी :- माघ मेले की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस बार संस्कारी पुलिसवालों के जिम्मे होगी। ड्यूटी के लिए ऐसे पांच हजार पुलिसवालों का चयन किया गया है जो शराब का सेवन नहीं करते हैं। साथ ही व्यवहार कुशल और धैर्यवान हैं। इसके लिए इन सबको ट्रेनिंग भी दी जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एटीएस, एसटीएफ, बीडीडीएस, पीएससी, गोताखोर, फायर सर्विस और ट्रैफिक पुलिसवाले मेले में मुस्तैद रहेंगे। इस बार मेले में कुल 13 थाने और 38 पुलिस चौकियां बनाई जाएंगी।
कल्पवास है क्या :- प्रयागराज में संगम तट पर माघ मेले में रहने वाले श्रद्घालुओं काे कल्पवासी कहते हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार, कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ महीने के 12वें दिन तक रहता है। ऋषियों ने गृहस्थों के लिए भी वास का विधान रखा था। इस दौरान गृहस्थ पत्तों और घासफूस से बनी हुई कुटिया में रहते हैं जिसे पर्ण कुटी कहा जाता है। दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है। कुटिया में रहने वाले कल्पवासियों की सुबह की शुरूआत गंगा स्नान से होती है। फिर दिनभर सत्संग, भजन, कीर्तन चलता है। यह कल्पवास का वक्त तन और मन को नई स्फूर्ति से भर देता है। वर्तमान काल में इसमें थोड़ा परिवर्तन आ गया है। माघ मेला में शिविर लगाने वाले और राम सेवा ट्रस्ट के संयोजक आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि “कल्पवासियों” को सबसे सच्चा तीर्थयात्री माना जाता है, जो एक महीने का समय गंगा के किनारे व्यतीत करते हैं।