किशोरियों और गर्भवती को यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि उनके शरीर में खून की कमी यानि एनीमिया न हो क्योंकि एनीमिया से न ही शरीर बल्कि मानसिक कमजोरी भी आती है और दिनचर्या प्रभावित होती है । इसके लिए वह आंगनबाड़ी केंद्र या उपकेन्द्र पर वीएचएनडी पर एएनएम् से अपनी नियमित जाँच करायें । इसके अलावा लम्बाई और वजन की नाप भी करायें । इससे यह पता चलता है कि हम सुपोषण की श्रेणी में आते हैं या नहीं। किशोरी हो या गर्भवती या धात्री उसे थाली में पीले, हरे, लाल या नारंगी रंग और सफ़ेद रंग के खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करना चाहिए ताकि उन्हें विटामिन खनिज,प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और फैट मिले।
मुकेश कुमार मौर् ने बताया- खान-पान के लिए यह आवश्यक नहीं है कि बाजार से महंगे बेमौसम के फल या सब्जियों का प्रयोग करें ।मौसमी स्थानीय सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए। इसी अवधारणा को ध्यान में रखते हुए सरकार पोषण वाटिका बनवा रही है ताकि आप अपने घर, आंगनबाड़ी केंद्र , पंचायत भवन सरकारी स्कूल की भूमि पर स्थानीय सब्जियों जैसे – सहजन, पालक, आंवला, चौलाई , अमरुद आदि फल व सब्जियों को उगायें और उनका स्वयं भी सेवन करें तथा परिवार के सदस्यों को भी कराएँ।
मिडलैंड हॉस्पिटल की पोषण विशेषज्ञ डा. स्मिता सिंह ने कहा- गर्भवती और धात्री को आयरन और कैल्शियम का सेवन जरूर करना चाहिए। आयरन को विटामिन सी और कैल्शियम का सेवन दूध के साथ करना चाहिए।आयरन और कैल्शियम का सेवन एक साथ कभी न करें ।गर्भवती नियमित दूध, दूध से बने पदार्थ, दालें , हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, चना और गुड़ का सेवन जरूर करें। इसके साथ ही सहजन को अपने भोजन में जरूर शामिल करें ।दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन गर्भवती को करना चाहिए। इसके अलावा दिन में कम से कम दो घंटे आराम करना चाहिए । कार्यक्रम में पोषण आधारित क्विज का आयोजन कर किशोरियों और गर्भवती को पुरस्कृत किया गया।