घरेलू गैस से मिडिल क्लास की बढ़ेगी पेरशानी
पेट्रोलियम मंत्रालय के बनाए गए इस प्रस्ताव में सिर्फ आर्थिक तौर पर बहुत ज्यादा कमजोर लोगों को ही अब सब्सिडी देने पर विचार हो रहा है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा दिक्कतें मिडिल क्लास को ही होंगी। जो न तो गरीबी से अथवा उससे नीचे आता है। साथ ही जॉब क्राइसिस में भी सबसे ज्यादा दिक्कतें उसे ही हो रहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले बार के बजट में सरकार ने जितनी रकम आवंटित की थी। इस बार रकम आधे से भी कम है। ये प्रस्ताव इस महीने के अंत तक या दिसंबर महीने में वित्त मंत्रालय को औपचारिक रूप से प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। जिसके बाद सरकार जल्दी ही रसोई गैस सब्सिडी के बारे में दिशानिर्देश जारी कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार भारत की पेट्रोलियम कंपनियों को यह भी कहा जा सकता है कि, जब तक कीमतें बढ़ी हुई है तब तक इसका भार वह खुद वहन करें। जब कीमतें कम हो जाएंगी। तब बिना किसी फेरबदल के उसकी रिकवरी कर लें। इससे एक बात साफ है कि पेट्रोल, डीजल के बाद घरेलू गैस के दाम अब स्थिर होकर भी अस्थिर ही रहेंगे।
आपको बताते चलें कि हाल ही में सरकार ने कमर्शियल गैस के दाम बढ़ाए थे। जिसके बाद से ही छोटे छोटे व्यापारियों का एक बड़ा व्यापारी वर्ग प्रभावित है। कमर्शियल गैस के दाम लगभग 2 हज़ार रु प्रति सिलेन्डर तक हो गए हैं।