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ये शख्स राम मंदिर मामले में लाया नया मोड़, कहा- अब अयोध्या में बनेगी भव्य जामा मस्जिद

locationलखनऊPublished: Nov 02, 2017 10:21:40 am

इस शख्स ने बाबरी मस्जिद को अपनी संपत्ति बताया है…

Prince Yakub Habeebuddin Tucy statement on Ram Mandir and Babri Masjid

ये शख्स राम मंदिर मामले में लाया नया मोड़, कहा- अब अयोध्या में बनेगी भव्य जामा मस्जिद

लखनऊ. अयोध्या में राम मंदिर मामले में एक नया मोड़ सामने आ गया है। हैदराबाद से आए मुगल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह बहादुर शाह जफर के वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तूसी ने बाबरी मस्जिद को अपनी संपत्ति बताते हुए मालिकाना हक जताया है। उन्होंने लखनऊ में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण से मुलाकात कर बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली बनाए जाने के लिए अपना दावा पेश किया है।
मुगल वंशज होने का पेश किया सबूत

मंगलवार को लखनऊ में प्रिंस याकूब तूसी ने बाबरी मस्जिद के वारिस होने की घोषणा की। उन्होंने मुगल वंशज होने के सुबूत के तौर पर अदालत से प्रमाणित अपने डीएनए का प्रमाण पत्र भी सौंपा। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद अलल औलाद है। इसलिए इस पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का नहीं मुगल वंशज का अधिकार है। प्रिंस याकूब तूसी ने कहा कि हिंदूू-मुस्लिम भाइयों की आस्था को ध्यान में रखकर कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा। बुधवार को अयोध्या यात्रा कर निर्मोही अखाड़े के प्रमुख सहित अन्य धार्मिक लोगों से मुलाकात कर उनको भी इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। वहीं उनके साथ मौजूद ब्राह्मण महासभा के महासचिव अमरनाथ मिश्र ने कहा कि अयोध्या मामला राजनैतिक नहीं है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। इसलिए सहमति से इसका हल निकालना ही होगा।
मुहब्बत से निकले का अयोध्या का हल

प्रिंस तूसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का बाबरी मस्जिद से कोई लेना देना नहीं है। दोनों ने इस मसले को उलझा कर रखा है। बाबर का वंशज होने के नाते सुन्नी वक्फ बोर्ड मुङो बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली बनाए। ताकि प्यार और मुहब्बत के साथ अयोध्या मामले का हल निकाला जा सके। उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में उनके द्वारा एक भव्य जामा मस्जिद का निर्माण कराया जाएगा। मुतवल्ली नियुक्त करने के लिए वह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कार्यालय गए थे। वहां उन्होंने वक्फ बोर्ड के सचिव से मुलाकात कर मुतवल्ली नियुक्त करने का आवेदन सौंपा, लेकिन सचिव ने आवेदन लेने से मना कर दिया है।
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