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प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में मांगा जवाब

locationलखनऊPublished: May 24, 2020 08:36:16 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

फीस वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है, यह सरासर अविचार पूर्ण एवं गैर कानूनी है।

प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में मांगा जवाब 

प्राइवेट स्कूलों की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में मांगा जवाब 

लखनऊ- उत्तर प्रदेश सरकार की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने 1 मई 2020 को शासनादेश जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि लाॅकडाॅउन के कारण स्कूलों में तीन माह तक कोई पढ़ाई नहीं होगी। इसलिए वर्तमान सत्र 2020-2021 में फीस बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
इस GO पर एसोसिएशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स उत्तर प्रदेश पहुंची हाईकोर्ट और उसके अधिवक्ता ने कहा कि सत्य यह है कि लाॅक-डाउन शुरू होते ही 24 मार्च से स्कूलों ने आॅन लाइन पढ़ाई शुरू कर दी। यह पढ़ाई निरन्तर जारी है और 30 जून तक चलेगी। तथा जब तक लाॅक-डाउन रहेगा तब तक यह पढ़ाई जारी रहेगी। इसलिए यह कहना कि वर्तमान सत्र 2020-2021 में फीस वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है, यह सरासर अविचार पूर्ण एवं गैर कानूनी है।
हाईकोर्ट की अगली सुनवाई 18 जून को होगी। प्राइवेट स्कूल्स का कहना है कि ऑन-लाइन शिक्षा क्लासरूम में होने वाली पढ़ाई से ज्यादा कठिन है। क्योंकि इसमें पढ़ाने के पूर्व बहुत अधिक तैयारी करनी पड़ती है। तब ही ऑन-लाइन टीचिंग संभव हो पाती है। एसोसिएशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स के अध्यक्ष श्री अतुल कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों पर सरकार का यह शासनादेश GO तानाशाही पूर्ण है और विधान सभा द्वारा पारित यू.पी. फीस रेगुलेशन एक्ट के पूर्णतया विरूद्ध है।
बजट प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि हमारे जैसे बजट प्राइवेट स्कूलों को किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिलती है। जिससे उनके खर्च कम नहीं होते है। क्योंकि बजट प्राइवेट स्कूलों की अधिकांश बिल्डिंग किराए पर हैं। जिनकी सफाई, पुताई, पेटिंग, मेंटेनेंस तथा स्कूल का बिजली का बिल, पानी का बिल, हाउस टैक्स, बढे हुए डीजल, पेट्रोल तथा पहिले से मंहगी स्टेशनरी इत्यादि के बढे हुऐ दामों के साथ ही साथ टीचर्स और अन्य शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन भी देना ही पड़ेगा।
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