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छोटे दल और सवर्ण मतदाता हैं प्रियंका की चुनावी रणनीति का हिस्सा

locationलखनऊPublished: Feb 15, 2019 05:46:01 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

28 बैठकें कर प्रियंका अब पार्टी की कमजोरियां और खूबियां फौरी तौर पर जान चुकी हैं।

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छोटे दल और सवर्ण मतदाता हैं प्रियंका की चुनावी रणनीति का हिस्सा

महेंद्र प्रताप सिंह
पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
लखनऊ. उप्र में कांग्रेस के नवनियुक्त दोनों महासचिवों प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मैराथन बैठकें खत्म हो गयीं। तीन दिनों तक कुल 28 बैठकें हुईं। दोनों नेताओं ने 80 लोकसभा सीटों का मंथन किया। करीब 1000 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से सीधे बात की गयी। उप्र में कांग्रेस क्यों कमजोर हुई, इसको लेकर तमाम फीडबैक मिले। कांग्रेस को संजीवनी देने के लिए कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई। कई तरह के सुझाव आए। उप्र की चुनावी रणनीति को इसके आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अंतिम रूप देंगे। फिलहाल, प्रियंका और सिंधिया का जोर सूबे के छोटे दलों, जाति आधारित पार्टियों और सवर्ण जातियों को साधने पर है।
प्रियंका गांधी के संक्षिप्त बयानों और उनके हाल के कदमों से यह साबित होता है कि उनकी चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा यूपी के छोटे दल हैं। कांग्रेस इन दलों से गठबंधन की कोशिश करेगी। इस बात के संकेत पिछड़े वर्गों खासकर मौर्य, शाक्य, कुशवाहा में अपनी पैठ रखने वाले महान दल के संस्थापक केशवदेव मौर्य से गठबंधन के एलान से मिले हैं। इसके अलावा प्रगतिशील लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव से भी खुद प्रियंका गांधी ने बात की है। इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पश्चिमी उप्र में पकड़ रखने वाले अवतार सिंह भड़ाना को पार्टी में शामिल कराया है।
अब 24 घंटे लोकसभा क्षेत्र में गुजारेंगी प्रियंका
मैराथन बैठक मेंप्रियंका गांधी का फोकस सामाजिक कार्यकर्ताओं, कांग्रेस के पिछड़े व दलित नेताओं पर भी था। यूपी के प्रमुख 35 दलित नेताओं की टास्क फ़ोर्स ने भी प्रियंका को सूबे के जातीय समीकरण को समझने के लिए फीडबैक दिया है। इस फीडबैक के आधार पर वह आगे की रणनीति पर विचार करेंगी। 28 बैठकें कर प्रियंका अब पार्टी की कमजोरियां और खूबियां फौरी तौर पर जान चुकी हैं। अब वह लोकसभा की हर सीट पर ख़ुद जाकर पूरा एक दिन बिताने और रात्रि विश्राम करने की योजना बना रही हंै। प्रियंका, और सिंधिया दोनों की नजऱ प्रदेश की उन 35 लोकसभा सीटों पर है जहां 2009 में पार्टी पहले या दूसरे स्थान पर थी। दोनों नेता इन्हीं सीटों पर ख़ास ध्यान देगें।
दबंग जातियों को मिलेगी तवज्जो
प्रियंका गांधी को जो फीड बैक मिला उसमें दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि उन्हें यह बताया गया कि भले ही यूपी में सवर्णों की आबादी 15 से 20 प्रतिशत है लेकिन राजनीति में उनका दबदबा उनकी संख्या के अनुपात में कई गुना ज़्यादा है। इसलिए कांग्रेस के इन नए रणनीतिकारों ने यूपी की दबंग जातियों यानी डोमिनेंट कास्ट पर नजर रखेंगी। टिकट वितरण में इन्हें तवज्जो भी दी जाएगी। ब्राहमण, ठाकुर और कायस्थों के अलावा पिछड़ों में शामिल जाट, गुर्जर, मौर्य और यादव को कांग्रेस से जोडऩे पर जोर होगा।
अति पिछड़ी जातियों पर जोर
कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश की उन जातियों पर है जो पिछड़ों में भी अति पिछड़ी हैं। मसलन- राजभर, निषाद, नाई, गड़रिया, कुम्हार समेत वे 17 से अधिक अतिपिछड़ी जातियां जो पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने के लिए आंदोलनरत हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इनकी मांग पर कोई खास ध्यान नहीं दिया है।
सिविक वोटिंग पर भी देंगे ध्यान
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी वोटिंग के सिविक पैटर्न पर भी जोर देंगी। मसलन, इस बात पर जोर दिया जाएगा कि आखिर यूपी की उच्च जातियां और इन जातियों के अलावा शहरी उच्च वर्ग आखिर किस पैटर्न पर वोट करता है। इसमें देशप्रेम, राष्ट्रवाद आदि सिविक मुद्दे अहम हैं। प्रियंका का जोर पार्टी के घोषणा पत्र में इन बातों को भी शामिल करवाने पर होगा ताकि शहरी और उच्च तबके के पढ़े लिखे वोटरों को भी फिर से कांग्रेस की तरफ मोड़ा जा सके।
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