यह है मामला दरअसल, इलाहबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में अराजकता फैलाने और अभद्र व्यवहार के आरोप में छात्र नेता अखिलेश यादव को निलंबित किया। एनएसयूआई नेता अखिलेश को यूनिवर्सिटी में ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया गाय है। एनएसयूआई का दावा है कि अखिलेश यादव छात्र संघ को भंग करने का विरोध कर रहे थे। उनके इस विरोध के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें यह सजा दी है।
राजनीति का अखाड़ा बन चुका विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ पर समाजवादी पार्टी समर्थित छात्रों का कब्जा था। वहीं, पिछले एक साल से छात्रसंघ के पदाधिकारी छात्रों के मुद्दों को उठाने की जगह किसी पार्टी के एजेंडो को बढ़ाने का काम करते थे। इससे विश्वविद्यालय में पढ़ाई का माहौल प्रभावित होता था। यह एक तरह से राजनीति का अखाड़ा बन चुका था।
योगी सरकार के इस फैसले की आलोचना समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी कर रही है। दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि एक तरफ योगी सरकार छात्रों को देश का भविष्य बताती है और दूसरी तरफ उन्हें अपनी बात कहने का पूरा हक भी नहीं देती। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बीजेपी सरकार सुनियोजित तरीके से छात्र संघों पर कब्जा करना चाहती है ताकि आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाया जा सके।