इससे पहले कांग्रेस महासचिव ने शिक्षामित्रों की समस्या पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता शिक्षा मित्रों की समस्या नहीं सुन रहे हैं बल्कि ‘टी शर्ट की मार्केटिंग’ करने में व्यस्त हैं। शिक्षामित्रों की मेहनत का रोज अपमान होता है, सैकड़ों पीड़ितों ने आत्महत्या कर डाली। जो सड़कों पर उतरे सरकार ने उनपर लाठियां चलाई, रासुका दर्ज किया। प्रियंका ने कहा कि काश सरकार अपना ध्यान दर्दमंदों की ओर भी डालती।
क्या है पूरा मामला बसपा सरकार के दौरान राज्य में शिक्षामित्र नियुक्त किए गए थे और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों के लिए दो साल का बुनियादी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम दिया गया था। 2012 में सपा सरकार ने संशोधन लाकर शिक्षामित्रों को नियमित करने के लिए लोकलुभावन उपाय की शुरुआत की। 2014 में राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों की नौकरियों को नियमित किया था। साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा था कि जब तक शिक्षामित्र टीईटी पास नहीं कर लेते तब तक उनके संविदा पदों को सरकारी नौकरी में नहीं बदला जाएगा। इस फैसले के बाद संविदा शिक्षकों का वेतन 38,848 रुपये से घटकर 3,500 रुपये हो गया। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने संविदा शिक्षकों का वेतन 3,500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया।