युवा, ओबीसी और दलित वर्ग को तरजीह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अब यह लग रहा है कि लल्लू कांग्रेस को नया स्वरूप देंगे। लल्लू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बााद को पूरे राज्य का प्रभार मिलने से संगठन को ताकत मिलने की संभावना है। कहा जा रहा है कि युवा, ओबीसी और दलित वर्ग को कांग्रेस अपने साथ जोडऩे की तैयारी मेें है। यही कारण है कि यूपी की नई टीम में ओबीसी, दलित व युवाओं को ज्यादा मौका दिया गया है। अब प्रियंका इन्हीं के साथ चलकर कांग्रेस को प्रमुख विपक्षी दल बनाएंगी।
विपक्ष ट्वीटर में और प्रियंका सड़क में हाल में यूपी की सियासत में जो बदलाव दिख रहा है वह यह है कि बसपा और सपा के नेता अपनी बात ट्वीटर के जरिए जनता तक पहुंचा रहे हैं। मायावती तो पहले से ही जनता के बीच दूरी बना कर रखती थीं और अब सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उन्हीें की राह चल पड़े हैं। सड़क पर इन दिनों दिख रही हैं तो प्रियंका गांधी। मुद्दा चाहे सोनभद्र का हो या फिर शाहजहांपुर का। अथवा बापू जयंती में अचानक लखनऊ पहुंचकर पद यात्रा करके प्रियंका अपने और कांग्रेस के वजूद को साबित करने में लगी हैं। प्रियंका को नई और बड़ी जिम्मेदारी मिलने से कांग्रेस में भले कुछ सरगर्मी दिखाई दे रही हो, लेकिन समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पाटी और भारतीय जनता पार्टी जैसे दल इसे गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं। वे अभी भी ट्वीटर-ट्वीटर खेल रहे हैं।
प्रेक्षक उठा रहे हैं सवाल कांग्रेस के कल के पुनर्गठन के बाद राजनीतिक प्रेक्षक यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस इन तीनों दलों से अपने पुराने जनाधार को छीनने में कामयाब होगी या नहीं। क्या इस कमेटी में इतनी कुब्बत है? अब तक पुनर्जीवन के हुए दर्जनों असफल प्रयास क्या इस बार सफल हो जाएंगे। एक और सवाल यह है कि प्रियंका की टीम उन्हें कितना सहयोग करेगी।
प्रियंका के कद बढऩे से कांग्रेस को कितना फायदा जानकारों का मानना है कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस आलाकमान द्वारा प्रियंका को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रियंका का कद बढ़ाए जाने से यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह तो 2022 के चुनावों के समय पता चलेगा लेकिन प्रियंका का कद बढ़ाए जाने से प्रदेश कांग्रेस में स्थितियां जरूर बदली नजर आ रही हैं। यूपी में कांग्रेस अब मुद्दों पर बात करते दिखने लगी है। सपा बसपा से पहले प्रियंका और उनकी टीम जन हित के मामलों को लेकर रोज धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। अगर ऐसा ही क्रम अनवरत बना रहा तो कांग्रेस गांव तक कार्यकर्ताओं में अपनी पहुंच बना लेगी।
आम आदमी के आवास की तरह होगा प्रियंका का मकान लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा पार्टी को सभी लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले घट गया था। यहां तक कि अमेठी लोकसभा सीट जहां से राहुल गांधी चुनाव लड़े थे, वहां के अलावा पार्टी के प्रत्याशी किसी भी सीट पर नंबर दो पर नहीं रहे थे। पर प्रियंका और उनकी नई टीम किस तरह काम करेगी, यह देखने की बात होगी। फिलहाल जनता से जुडऩे के लिए प्रियंका ने यहां अपना एक आवास बनाने का भी फैसला लिया है। शीला कौल का यहां पुस्तैनी आवास उनका नया आशीयाना होगा। उनके नए मकान की साज सज्जा उनके मुताबिक की जा रही है। उनके इस मकान को बाहर से बिल्कुल सामान्य आवास की तरह सजाया जा रहा है ताकि आम आदमी को लगे कि उनकी नेता उन्हीं के बीच की हैं।