पत्रकारों ने जब रॉबर्ट वाड्रा से ईडी की पूछताछ को लेकर प्रियंका गांधी से सवाल किया और पूछा कि क्या यह सब उनके काम पर असर डालता है, तब इसके जवाब में प्रियंका ने साफ कहा कि यह सब चीजें तो चलती रहेंगी…। मैं बस अपना काम कर रही हूं।
प्रियंका गांधी के 2019 के लोकसभा चुनाव को न लडऩे की खास वजह यह मानी जा रही कि उनके मैदान में उतरने से कार्यकर्ताओं में जोश भरने और जीत की रणनीति बनाने वाला कोई और दूसरा नहीं होगा। अभी प्रियंका एक-एक पार्टी कार्यकर्ता से बात कर रही हैं। वे यह बोल भी रही हैं कि संगठन में काफी बदलाव की जरूरत है। यह भी वह कह रही हैं कि अभी उन्हें संगठन के बारे में बहुत कुछ सीखना है। ऐसे में संगठन को छोडकऱ चुनाव लडऩे में जुट जाएगीं तो चुनाव कैसे जीता जाए इसकी रणनीति पर असर पड़ेगा। वैसे भी राहुल गांधी चाहते हैं कि प्रियंका पूर्वी उप्र की 41 सीटों पर फोकस करें। इसलिए भी चुनाव मैदान में नहीं उतर रहीं।
माना जा रहा है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव राहुल गांधी के ही नाम पर लडऩा चाहती है। वह ही कांग्रेस की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार होंगे। वही चुनावों में पोस्टर ब्वाय भी होंगे। जिस तरह प्रियंका यूपी में लांचिग के लिए आयोजित रोडशो में प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक शब्द नहीं बोले सिर्फ राहुल ने ही बयान दिया उसी तरह राहुल के बजाय कहीं प्रियंका के नाम को पार्टियां और लोग आगे न बढ़ाएं इसलिए भी प्रियंका को चुनाव लड़ाकर उनके नाम को आगे बढ़ाने का मौका कांग्रेस नहीं देना चाहती।
प्रियंका के इस निर्णय के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या चुनाव न लडऩे के अपने राजनीतिक फैसले पर प्रियंका गांधी अडिग रह पाएंगी। सवाल उठ रहा है कि जब सोनियां गांधी रायबरेली से चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी तब क्या होगा। इस बात की आशंका है कि स्वास्थ्यगत कारणों से शायद सोनिया इस बार लोकसभा चुनाव में न उतरें। ऐसे में राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ज्यादा दबाव बढ़ा तो प्रियंका अपनी माताजी की विरासत को संभालने के लिए रायबरेली से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। हालांकि इस बात की भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि ऐसी स्थिति बनी तो राहुल गांधी अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। और अमेठी से किस वफादार को चुनाव लड़ाया जा सकता है।