तेज हुआ किसानों का विरोध एक तरफ प्रदेश सरकार राम नगरी के सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को फलक पर लाने के लिए योजनाओं के लिए जमीन की तलाश में जुटी है, वहीं किसानों का विरोध भी तेज हो गया है। शासन प्रशासन की इस प्रक्रिया में धरमपुर ग्राम सभा के लोग अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए सरकार की ओर से जमीन ली जा रही है। जनौरा, नंदापुर और गंजा के किसानों को उनकी जमीन का अधिक मुआवजा दिया जा रहा है जबकि उतनी ही जमीन का धरमपुर गांव के किसानों को कम मुआवजा मिल रहा है। शासन और प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी। अगर जनौरा के किसानों जितना मुआवजा नहीं दिया गया तो वह किसी कीमत पर अपनी जमीन एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए नहीं देंगे।
राजनीतिक दलों का मिला साथ अलग-अलग मुआवजे को लेकर सपा के पूर्व मंत्री पवन पांडेय और कम्युनिस्ट नेता सूर्यकांत पांडेय धर्मपुर गांव पहुंचे और किसानों से हालात पर चर्चा की। पवन पांडे व सूर्यकांत पांडे ने चौपाल लगाई और ऐलान किया कि जब तक ग्रामीणों को समान रूप से मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक धर्मपुर गांव के ग्रामीणों के साथ दोनों पार्टियां खड़ी रहेंगी। वहीं जिला प्रशासन के लोग कुछ भी बोलने से कतरा रहा है।
जमीन की जा रही है अधिग्रहित दरअसल राम नगरी के श्रीराम एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए धर्मपुर गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहण के दायरे में है। बीते 7 जनवरी को धरमपुर गांव के ग्रामीणों ने सदर तहसील में समाधान दिवस पर सुनवाई करने पहुंचे जिला अधिकारी अनुज कुमार झा के सामने अपनी समस्या रखी थी। हालांकि राजस्व महकमे की ओर से पहले से तय सर्किल रेट के चलते जिला प्रशासन की ओर से धर्मपुर गांव के किसानों को कोई राहत नहीं मिल पाई। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के नाम पर बनने वाले इस एयरपोर्ट में हवाई पट्टी क्षेत्र का विस्तारीकरण किया जाना है। इस विस्तारीकरण के लिए हवाई पट्टी के आसपास बसे गांव जनौरा, नंदापुर, गंजा और धरमपुर ग्राम सभा की जमीन अधिग्रहित की जानी है। जिसकी प्रक्रिया शासन प्रशासन स्तर पर जारी है। अधिग्रहित क्षेत्र के किसानों को मुआवजा देकर उनकी जमीन की रजिस्ट्री कराई जा रही है।
विवादों में भगवान श्रीराम की मूर्ति का स्थल वहीं रामनगरी मेें लगने वाली भगवान श्रीराम की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के स्थल को लेकर भी विवाद है। योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत 251 मीटर ऊंची भगवान राम की मूर्ति के लिए माझा बरहटा में जमीन अधिग्रहण को लेकर पेंच फंसा है। यहां के किसान भी भूमि अधिग्रहण के विरोध में हैं। इससे पहले मीरापुर ढाबा में मूर्ति लगाने का निर्णय लिया गया था। तब जमीन की पैमाइश आदि पर लाखों खर्च हुआ था। कुछ को मुआवजे भी बंटे। लेकिन, बाद में भूमि संरक्षण समिति ने इस भूमि को रेलवे लाइन के किनारे और सरयू के तलहटी में स्थित बताकर अनुपयुक्त घोषित कर दिया था। इसके बाद मांझा बरहटा गांव में मूर्ति लगाने के लिए शासन ने मंजूरी दी थी।