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शिक्षक दिवस पर वित्तविहीन शिक्षकों ने मुंडवाया सिर, मनाया ‘भिक्षक दिवस’

locationलखनऊPublished: Sep 05, 2018 02:28:09 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

पिछले कई दिनों से धरना दे रहे माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों ने बुधवार को अपनी मागों को लेकर सरकार के विरोध में बाल मुंडवाए और भीख मांगी।

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शिक्षक दिवस पर वित्तविहीन शिक्षकों ने मुंडवाया सिर, मनाया ‘भिक्षक दिवस’

लखनऊ. एक तरफ देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है तो वहीं राजधानी स्थित गांधी प्रतिमा के आस-पास नजारा एकदम विपरीत था। पिछले कई दिनों से धरना दे रहे माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों ने बुधवार को अपनी मागों को लेकर सरकार के विरोध में बाल मुंडवाए और भीख मांगी। ये उनका विरोध प्रदर्शन का अपना तरीका था। उन्होंने शिक्षक दिवस को भिक्षक दिवस के रूप में मनाया। इसकी धमकी वे पिछले कई दिनों से दे रहे थे।
बता दें कि बुधवार को माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पहुँच गए। उन्होंने भिक्षा मांगी व अपना मुंडन कराया। इस दौरान कई महिला पुरुष शिक्षकों ने अपने सिर का मुंडन करवाकर विरोध जताया।वही प्रदर्शन मे मौजूद शिक्षको का विरोध देख पुलिस ने उन्हे समझने के साथ साथ हटने का प्रयास किया लेकिन वह मैंने को तैयार नहीं हुए जिसके बाद पुलिस ने उन्हे जबरजस्ती उठा कर खींच कर बसों और गाड़ियों मे लाद कर आलमबाग इको गार्डन भेज दिया |वहीं प्रदर्शनकर रहे माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षको ने बताया कि सरकार ने हमारा मानदेय बंद कर दिया है, जिसके चलते शिक्षकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने योगी सरकार के इस निर्णय को पक्षपातपूर्ण करार दिया।साथ ही कहा कि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कई धरना-प्रदर्शन व सम्मेलनों में मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया जा सका।
आत्मदाह की दी धमकी

वहां धरना दे रहे शिक्षकों ने कहा कि सरकार के इस रवैये के खिलाफ हमारा विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस पर वित्तविहीन सारे शिक्षकों ने लखनऊ की सड़कों पर निकलकर भिक्षा मांगने के साथ साथ महिलाओं और पुरुषों ने अपना मुंडन करा कर जो जो पैसा इकटा कर मुख्यमंत्री को देंगे जिससे उनकी तंगी दूर हो सके क्यों की यह सरकार जुमलेबाजों की सरकार है क्यों कि इस से पहले की सरकार मे हम लोगों को एक हजार रूपए मिलते थे और इस बीजेपी ने वादा किया था कि यदि सरकार बनेगी तो वह उनको सम्मान देगी और जो मानदेह मिल रहा है वह भीख के सामान है जिसके चलते हम भोले भले शिक्षक इनके साथ हो गए। अब इनकी सरकार है फिर भी इन्होने अपन वादा पूरा नहीं किया। सरकार आत्मदाह करने पर हमें मजबूर रही है।

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