डा. सुजीत आगे बताते है कि, आनलाइन गेम बच्चे के जीवन से जुड़ी कई बातों को दर्शाती हैं। बच्चा जब बड़ा होता है तो उसके व्यक्तित्व में भी बदलाव आ रहे होते हैं। व्यक्तित्व में कभी-कभी हिंसक भाव अधिक होते हैं और भावनात्मक रूप से वह कमजोर होता है। इस तरह के व्यक्तित्व के बच्चे अति संवेदनशील हो जाते हैं। किसी भी बात को सहन कर पाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में अगर उनके अनुसार कार्य नहीं किया गया तो वह हिंसक रुख अपना लेते हैं।
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उत्तर प्रदेश में एक बड़ा बैंक बंद, जमाकर्ता परेशान कैसे मिलेगा जमा धन क्या करें अभिवावक – – बच्चे के व्यक्तित्व को पहचानें। यदि बच्चा हर बात पर चिड़चिड़ा, जिद्दी हो रहा है तो मनोविज्ञानी से मिलें। काउंसिलिंग की जरुरत।
– बच्चे की कमजोरी या उसकी आदतों को पहचानने की कोशिश करें और मदद करें।
– आनलाइन गेमिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। बच्चे मोबाइल या लैपटाप पर क्या कर रहे हैं, इस पर नजर रखें। – बच्चे को शारीरिक क्रियाकलापों के लिए बढ़ावा दें। जैसे, वह बगीचे को सुंदर बनाएं। बाहर के खेलों पर ध्यान दें।
– बच्चों के लिए मोबाइल और गैजेट का समय निश्चित करें। बच्चा दो घंटे पढ़ाई कर रहा है तो उसे उपहार में आधे घंटे के लिए फोन चलाने की अनुमति दें। – व्यस्त अभिभावक अलर्ट हो जाएं, बच्चों को फोन और अन्य गैजेट देकर व्यस्त न रखें। बच्चों की आदत बन जाती है। बच्चों के लिए समय जरूर निकालें।