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सीएम योगी ने फिर खेला दलित कार्ड, बोले-वेदों की रिचाएं दलितों ने रचीं

locationलखनऊPublished: Dec 15, 2018 05:40:45 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

समरसता कुंभ में बोले सीएम- राहुल गांधी ‘एक्सीडेंटल हिंदू’, कांग्रेस अध्यक्ष को जनेऊ व गोत्र याद आना भाजपा की वैचारिक जीत.
 

ayodhya

सीएम योगी ने फिर खेला दलित कार्ड, बोले-वेदों की रिचाएं दलितों ने रचीं

अयोध्या. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘एक्सीडेंटल हिंदू’ करार दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें जनेऊ व गोत्र याद आना हमारी वैचारिक जीत है। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंदुओं से बड़ा प्रकृति पूजक कोई नहीं फिर भी उन्हें पर्यावरण विरोधी साबित करने का षडयंत्र किया जा रहा है। योगी ने दलित कार्ड खेलते हुए कहा कि वेद की रचना करने वाले ऋषि उस वर्ग से थे जिन्हें आज हम दलित कहते हैं। यह बातें योगी ने यहां दो दिवसीय समरसता कुंभ के उद्घाटन के दौरान कहीं।
राज्य के 5 स्थानों में आयोजित समरसता कुंभ की कड़ी में काशी और वृंदावन के बाद अयोध्या में चल रहे समरसता कुंभ में शिरकत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला।
रामनगरी में उन्होंने कहा कि राहुल गांधी एक्सीडेंटल हिंदू हैं। योगी ने कहा कि अपने को एक्सीडेंटल हिंदू बताने वालों को भी जनेऊ और गोत्र याद आ गया यह हमारी वैचारिक जीत है। योगी ने कहा कि आज नेता अपना गोत्र बता रहे हैं। जो लोग कहते थे कि हम एक्सीडेंटली हिंदू हैं उन्हें एहसास हो रहा है कि वह सच्चे मायने में हिंदू हैं। यह भारत की सनातन आस्था की विजय है। यह हमारी वैचारिक विजय है। हाल ही में सबरीमाला मामले को लेकर हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की गयी। जबकि, सभी जानते हैं कि वहां की परंपरा क्या है। जो कभी मंदिर नहीं गए वह सबरीमाला पर बयान दे रहे हैं। उसी तरह कुंभ को दलित विरोधी आयोजन करार दिया जा रहा है। जबकि यह ऐसी धरोहर है जिसमें सभी संप्रदाय के लोग शामिल होते हैं। कुंभ का वर्णन वेदों में है। फिर भी कुछ लोग भारत की छवि खराब करने में लगे हैं। ऐसे में हमें एक वातावरण बनाने की जरूरत है।
वेद की रिचाओं को दलितों ने रचा
सीएम योगी ने सवाल उठाया कि वेद की अधिकतर ऋचाएं किसने रचीं। वेद की अधिकतम रिचाओं को रचने वाले वे ऋषि हैं,जिन्हें आज हम दलित कहते हैं। रामायण का आधार कौन है। सब जानते हैं। महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण। वाल्मीकि कौन थे। लेकिन आज लोग वाल्मीकि समुदाय से ही छुआछूत करते हैं। यानी जिन्होंने वेदों से हमारा साक्षात्कार कराया उन महर्षियों को हम भूल गए। हम आज राहुल गांधी की तरह अपना नया गोत्र बनाने लगे तो दुर्गति तो होनी ही होनी है। एक बात और इतिहास लिखने का जिम्मा हमने उनको दे दिया जिनका खुद का इतिहास 2000 साल पुराना भी नहीं है। ऐसे ही लोग हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
हमारी सनातन परंपरा ने कभी महत्व नहीं दिया

हमारी सनातन परंपरा ने कभी जाति, धर्म, अस्पृश्यता को महत्व नहीं दिया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की परंपरा ने कभी अस्पृश्यता के भाव को नहीं माना। निषादराज उनके मित्र थे। शबरी कौन थीं। हनुमान कौन थे। बंदर और भालू कौन थे। उनके वनवासी जीवन के सहयोगी कौन थे। रामराज्य की आधारशिला रखने वाले कौन थे। जब हम वास्तविकता का आभास नहीं करेंगे और गूगल व फेसबुक के आधार पर भावनाओं को व्यक्त करेंगे तो क्या होगा। सवाल है क्या रामायण के बारे में गूगल बताएगा। लेकिन आज हम गूगल के आधार पर तय करते हैं कि क्या सही क्या गलत।
क्या है समरसता कुंभ
प्रयाग कुंभ के महत्व पर प्रकाश डालने और इसके उद्देश्य को बताने के लिए अयोध्या में समरसता कुंभ का आयोजन किया गया है। इसमेे देश भर से 2800 विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास कर रहे हैं।
यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में मंच पर ग्राम्य विकास मंत्री मंत्री डॉ महेंद्र सिंह,प्रभारी मंत्री रमापति शास्त्री ,आरएसएस के सर कार्यवाह भगैय्या जी, आरएसएस के वरिष्ठ सदस्य जय प्रकश,पूना से आये गोविन्द देव गिरी ,सांसद लल्लू सिंह ,अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मनोज दीक्षित आदि मौजूद थे।
कुंभ से पहले पांच कुंभ
प्रयाग कुंभ से पहले देश के पांच स्थानों पर वैचारिक कुंभ हो रहे हैं। काशी में पर्यावरण कुंभ हुआ। इसमें पर्यावरण के बारे में बताया गया कि भारतीय संस्कृति में सिर्फ जीव मात्र के लिए बात नहीं की जाती बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के हर जीव जंतु पेड़ पौधे की बात की जाती है। दूसरा वैचारिक कुंभ वृंदावन में हुआ। यह नारी शक्ति का प्रतीक था। तीसरा वैचारिक कुंभ अयोध्या में हो रहा है। चौथा वैचारिक कुंभ लखनऊ और पांचवा प्रयागराज में होगा।

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