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NTPC Boiler blast: रायबरेली पहुंचे राहुल गांधी, पीड़ितों का जाना हाल

locationलखनऊPublished: Nov 02, 2017 12:28:12 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

NTPC Boiler blast, पीड़ितो का हाल जानने रायबरेली पहुंचे राहुल गांधी

Rahul gandhi
राययबरेली. ऊंचाहार के एनटीपीसी थर्मल पॉवर में बुधवार को हुए हादसे में अब तक 30 लोगों के मारे जाने की पुष्टी हो गई है। गुरुवार सुबह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पीड़ितों का हाल जानने रायबरेली पहुंचे। उनके साथ सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि केएल शर्मा भी शामिल थे। राहुल इस दौरान पहले घायलों से मिले। इसके बाद ऊंचाहार एनटीपीसी पहुंचे। वहां जाकर उन्होंने घटना के कारण जानने की कोशिश की। केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह के साथ ही उत्तर प्रदेश के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी ऊंचाहार पहुंचे।
ट्वीट कर दी थी जानकारी

राहुल गांधी ने बुधवार शाम घटना पर ट्वीट कर दुख जताया था। उन्होंने लिखा था, ‘रायबरेली NTPC प्लांट की घटना से मन विचलित है। मेरी संवेदनाएं मृतकों के परिवार के साथ हैं। प्रशासन से निवेदन है कि जख्मियों को तत्काल मदद दी जाए।”देर रात राहुल ने ट्वीट किया, “NTPC में हुए हादसे की वजह से मैं कल (2 नवंबर) रायबरेली जाऊंगा। दोपहर में मैं गुजरात नवसर्जन यात्रा में पहुंचूंगा।”
घायलों को अस्पताल देखे पहुंचे

रायबरेली पहुंचकर राहुल गांधी सबसे पहले जिला अस्पताल में घायलों से मिलने पहुंचे। उन्होंने पीड़ितों के परिवारजनों को पूरी मदद का आश्वासन दिया। वहीं दूसरी तरफ एनटीपीसी में कार्यत कर्मियों ने गुरुवार को एनटीपीसी के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कर्मियों का कहना था कि बिना सुरक्षा के इंतजामों के उनसे काम करवाया जा रहा है।
बता दें कि हादसे में मरने वालों की तादाद 30 हो गई है। वहीं 100 से ज्यादा घायल हैं। NTPC ऊंचाहार में थर्मल पाॅवर प्लांट पर काम होता है। इसमें कोयले से पानी को गर्म करके बड़े ब्वॉयलर में भेजा जाता है। पानी को हाई लेवल पर फार्मेशन के जरिए स्टीम में कन्वर्ट किया जाता है। इसके बाद इसे बड़े टर्बाइन को चलाने के लिए भेजा जाता है। टर्बाइन में प्रेशर के जरिए फार्मेटेड स्टीम को भेजते हैं, जिसके बाद हाईलेवल की एनर्जी जनरेट होती है।
लापरवाही भी है हादसे का बड़ा कारण

एनटीपीसी की 500 मेगावाट की यूनिट नंबर 6 का संचालन करीब एक पखवारा पहले शुरू कर दिया गया। एक इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह यूनिट अभी सही से कमीशन भी नहीं हुई थी। फिर भी इसे जबरदस्ती मैन्युअल चला दिया गया। गुस्से में ये इंजीनियर कहते हैं ये यूनिट इसलिए चलाई गई कि अफसरों की प्रमोशन की लालसा पूरी हो। तीन साल का प्रोजेक्ट ढाई साल में पूरा करवाने के चक्कर में ये हादसा हुआ।
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