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खिचड़ी खिलाकर कांग्रेस को मजबूत करेंगे राहुल गांधी

locationलखनऊPublished: Jan 11, 2018 11:21:19 am

संक्रांति के शुभ मुहूर्त से राहुल यूपी की जमीन मजबूत करेंगे, अखिलेश यादव के झटके के बाद राहुल ने तय किया अमेठी दौरा

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अमेठी. मिशन 2019 में गठबंधन की संभावना के खारिज होने के बाद कांग्रेस ने भी अकेले दम पर यूपी की सियासत को साधना शुरू कर दिया है। पार्टी ने कार्यकर्ताओं से बूथवार प्रबंधन को दुरुस्त करने को कहा है। इसी के साथ पार्टी अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद राहुल गांधी भी पहली मर्तबा अमेठी आएंगे। 15 और 16 जनवरी के दो दिवसीय दौरे पर राहुल सांसद निधि के तमाम विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। मकर संक्रांति पर कांग्रेसियों की बैठक भी अमेठी में बुलाई गई है। चर्चा है कि बैठक में सपा से सियासी रिश्ते खत्म होने के बाद कांग्रेस की संभावनाओं और कोशिशों पर मंथन होगा।

एक दर्जन बड़े नेता भी राहुल के साथ होंगे

कांग्रेस में शीर्ष का पद संभालने के बाद राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दो दिन के दौरे पर आएंगे तो इस दौरान कांग्रेस के करीब एक दर्जन बड़े नेता भी उनके साथ 15 व 16 जनवरी को अमेठी में प्रवास करेंगे। सपा से गठबंधन की संभावनाओं के खत्म होने से मायूस कांग्रेसी अब राहुल गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पहली बार संसदीय क्षेत्र के दौरे से उत्साहित हैं। राहुल के दो दिवसीय दौरे के दौरान ही जिले में जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक भी होगी। मकर संक्रांति के मौके पर देर शाम प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं की विशेष गुफ्तगू होगी।
कांग्रेस की मजबूती के लिए खिचड़ी भोज करेंगे

कांग्रेसियों के मुताबिक, एकला चलो की स्थिति में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी अमेठी से खिचड़ी भोज की शुरुआत करेंगे। इसके बाद प्रदेश के अन्य तमाम हिस्सों में कांग्रेसी कार्यकर्ता और जिला कमेटी खिचड़ी भोज का आयोजन करेगी। जिला कमेटियों से खिचड़ी भोज के लिए ग्रामीण अंचलों पर फोकस करने को कहा गया है। अमेठी जिला कांग्रेस कमेटी ने बताया है कि राहुल गांधी के दो दिवसीय दौर में उनकी संसदीय निधि से कराये गए विकास कार्यों का लोकार्पण भी कराया जाएगा।
दो दिन पहले सपा ने दिया था झटका

गौरतलब है कि यूपी की सियासत में अब साइकिल अकेले दौड़ेगी। हाथ का साथ मंजूर नहीं। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा ने यह फैसला सोची-समझी रणनीति के तहत उठाया है। इस फैसले से कांग्रेस बेचैन हुई है, जबकि सपा कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल गए हैं। वजह है पार्टी नेतृत्व ने अकेले चुनाव लडऩे के तमाम फायदे गिनाए हैं। सपा के इस फैसले से अखिलेश को राष्ट्रीय राजनीति में सुल्तान बनने का मौका मिलेगा। साथ ही प्रदेश में बैसाखी के सहारे राजनीति करने का ठप्पा भी हटेगा। पार्टी ने कार्यकर्ताओं को समझा दिया है कि लोकसभा चुनाव में ताकत दिखानी है, लेकिन मकसद प्रदेश में सपा की सरकार बनानी है। अलबत्ता राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को दबाव में रखने के लिए सपा ने गठबंधन का रिश्ता तोड़ा है।
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