मड़ियांव के दो अस्पातालों में देर रात को छापा मार कर यूपी एसटीएफ ने आठ यूनिट नकली खून बरामद किए हैं
लखनऊ में खून के काले कारोबार का भंडाफोड़, केमिकल और पानी मिलाकर बेच रहे थे नकली खून
लखनऊ. राजधानी लखनऊ में खून का काला कारोबार चल रहा था, जिसका भंडाफोड़ कर यूपी एसटीएफ ने सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए आरोपी केमिकल और पानी मिलाकर खून का काला कारोबार कर रहे थे। म़ड़ियांव के दो अस्पातालों में देर रात को छापा मार कर यूपी एसटीएफ ने आठ यूनिट नकली खून बरामद किए हैं। इसमें सात लोगों को दबोचा गया। एसटीएफ ब्लड बैंक के दस्तावेज और कर्मचारियों का ब्यौरा खंगाल रही है।
एसटीएफ के मुताबिक, मड़ियांव में यह काला कारोबार काफी समय से चल रहा था। पूरी बात का पता लगाने के लिए एसटीएफ ने गोपनीय तरीके से छापेमारी की। स्थानीय पुलिस को भी इसकी भनक तक नहीं लगी। करीब 15 दिनों तक एसटीएफ ने ब्लड बैंक की रेकी की। सारे सबूत और साक्ष्य जुटाने के बाद एसटीएफ ने डिप्टी एसपी अमित नागर के नेतृत्व में देर रात तक छापेमारी की। इस पूरे गुरोह का सरगना नसीम बताया जा रहा है। उसकी निशानदेही पर देर रात फैजुल्लागंज और कैंट में दबिश जारी थी।
इस तरह करते थे नकली खून का कारोबार एसटीएफ के मुताबिक आरोपी केमिकल और पानी मिलाकर दो से तीन यूनिट नकली खून बनाते थे। ब्लड बैंक में किसी डॉक्टर की तैनाती भी नहीं थी और न ही यहां मेडिकल डिग्री के कोई कर्मचारी काम कर रहे थे। गिरफ्तार हुए सारे लड़के इंटर पास हैं। एक यूनिट मिलावटी खून के लिए 3500 रुपये वसूले जाते थे। 1200 रुपये तक यह गिरोह मजदूरों और रिक्शाचालकों से खून खरीदता था और उसमें केमिकल और पानी मिलाकर नकली खून बनाकर उसे बेचते थे।
ब्लड बैंक के नमूनों को एसटीएफ ने फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजवा दिया है। नकली खून असली लगे इसके लिए सामान्य मानव रक्त में सलाइन वॉटर मिलाया जाता था। मिलावटी खून तैयार होने के बाद उसे की अस्पतालों में फर्जी ब्लड डोनेशन फॉर्म दिखाकर बेचते थे। इस पूरे मामले में एसटीएफ ने बीएनके ब्लड बैंक के लैब टेक्नीशियन और लैब अटेंडेंट को भी गिरफ्तार किया है।