रेल ड्राइवर और उनके असिस्टेंट लगातार माइलेज रेट को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। कुछ दिन पहले रनिंग स्टाफ के अधिवेशन में रेल ड्राइवर्स ने 17 जुलाई से पूरे देश में हड़ताल पर जाने की बात कही थी। मगर रेलवे द्वारा माइलेज रेट के निर्धारण के लिए दोबारा कमेटी बनाए जाने पर ड्राइवरों ने आंदोलन रद्द किया। मगर 15 से 17 जुलाई तक भूख हड़ताल पर जाने की बात रेल ड्राइवरों ने कही। भूख हड़ताल से स्वास्थ्य बिगड़ता है। कई बार आपातकाल स्थिति में रेल ड्राइवर्स को अस्पताल पहुंचाया जाता है, तो कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि कुछ की मौत हो जाती है। इस बार रेलवे ड्राइवरों की भूख हड़ताल से आरपीएफ और स्थानीय प्रशासन पहले से मुस्तैद रहेगा।
रेलवे बोर्ड ने जारी किया नियम रेलवे बोर्ड ने सभी जोलन व प्रोडक्शन यूनिट के महाप्रबंधकों को पत्र जारी किया है। रेलवे बोर्ड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आलोक कुमार ने सभी जोनल को आदेश दिया है कि कोई भी रेल ड्राइवर संरक्षा नियमों का उल्लंघन न करे। बिना अधिकारी की अनुमति के रेल ड्राइवर छुट्टी पर भी न जाएं। अगर कोई ड्राइवर बिना अनुमति ड्यूटी करता है या फिर रेल संचालन में बाधा पहुंचाता है तो उसके खिलाफ रेलवे एक्ट 1989 के सेक्शन 173, 174, 175 के तहत कार्रवाई होगी। वहीं, बोर्ड प्रबधंकों को कहा गया है कि 15 से 17 जुलाई तक जो रेल ड्राइवर हड़ताल में शामिल हुए हों, उनके नाम मंत्रालय को बताए जाएं।
ये भी पढ़ें: कबाड़ से रेलवे इंजीनियरों ने बनाया 10 फीट लंबा राफेल विमान का मॉडल संचालन में बाधा पहुंचने पर होगी कार्रवाई जोनल मुख्यालयों में चेतावनी जारी की गई है कि ट्रेन ड्राइवर संरक्षा नियमों का उल्लंघन न करे। वह ट्रेन संचालन में बाधा न पहुंचाए। बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के ट्रेन ड्राइवर छुट्टी पर न जाएं। जोनल मुख्यालयों को यह तय करना होगा कि ट्रेन का संचालन किसी तरह बाधित न हो सके। यदि ट्रेन ड्राइवर बिना अनुमति के ड्यूटी नहीं करता है, या फिर ट्रेन संचालन में बाधा पहुंचाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। निर्देश में यह भी कहा गया है कि यात्री की सुरक्षा को खतरा बना तब भी कड़ी कार्रवाई होगी। रेलवे का आशय ट्रेन ड्राइवरों को खाली पेट रहकर ट्रेन न चलाने देने से है।
लोको संघ माइलेज दर को 1980 में बनी आरएसी कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार करने को लेकर कई साल से आंदोलन कर रहा है। इसके तहत लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट दोनों को अलग-अलग माइलेज अलाउंस दिया जाना है। इसके अलावा एसोसिएशन रेलवे के 100 दिनों के एजेंडे में शामिल निजीकरण का भी विरोध कर रही है।
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