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रेलवे के लिये सबसे बड़ी परेशानी का सबब है उसके फ्रंटलाइन कर्मचारियों का संक्रमण का शिकार होना। ट्रेनों का संचालन इन्हीं फ्रंटलाइन कर्मचारियों (Railwy Frontline Staff) पर निर्भर होता है। जो 30 फीसदी रेलकर्मी संक्रमित हुए हैं उनमें फ्रंट लइन कर्मियों की गिनती कम नहीं। स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, गार्ड, टीटीई, सुपरवाइजर, मैकेनिक, की-मैन और सफाई कर्मी जैसे कर्मचारियों के संक्रमित होने से रेलवे की चिंताएं बढ़ गई हैं। इन कर्मचारियों की कमी का सीधा-सीधा मतलब है कि ट्रेनों के संचालन प्रभावित होगा। ट्रेनों को नियमित रूप से संचालित करना मुश्किल होगा।
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हालांकि मालगाड़ियों के संचालन के लिये गार्ड के विकल्प के रूप में सहायक लोको पायलट गार्ड की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पर फ्रंट लाइन रेल कर्मियों के विकल्प ना के बराबर हैं। इसका असर भी दिखने लगा है। गोरखपुर रेलवे यार्ड में शंटिंग, प्लेसमेंट, रैक की धुलाई, सफाई और मरम्मत, मेंटेनेंस आदि काम प्रभावित होने लगे हैं। औड़िहार में लोको शेड के सुपरवाइजरों केसं क्रमण का शिकार होने से डेमू ट्रेन का संचालन बाधित हुआ है। संक्रमित होते कर्मचारियों को लेकर रेलवे भी चिंतित है।
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बताते चलें कि लाॅकडाउन के बाद ट्रेनों का संचालन शुरू करते हुए अब रेलवे रेल सेवा के सामान्य संचालन की ओर तेजी से बढ़ रहा था। होली, स्पेशल और त्योहार स्पेशल के साथ-साथ समर स्पेशल और टू पैकेज ट्रेनों का भी संचालन शुरू हो गया। पर इसी बीच कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने के बाद संकट के बादल एक बार फिर से छाते दिख रहे हैं। कर्मचारियों के संक्रमित होने से जो ट्रेनें चल रही हैं उनका रख-रखाव, साफ-सफाई और धुलाई व मेंटेनेंस का काम मुश्किल होता जा रहा है।