लखनऊ. रेल मंत्री सुरेश प्रभु की लीला यात्रियों को रास नहीं आ रही है। पिछले दिनों रेलवे द्वारा वीवीआईपी व प्रीमियम ट्रेनों में लागू की गई फ्लेक्सी किराया प्रणाली यात्रियों को पसंद नहीं आ रही है। जिसके चलते फ्लेक्सी किराया लागू होने वाली ट्रेनों से यात्रियों का मोह भंग हो रहा है। अभी तक जो ट्रेनें यात्रियों से खचाखच भरी रहती थी और जिन ट्रेनों में सीट पाने के लिए यात्री परेशान रहते थे। अब उन ट्रेनों को यात्री नहीं मिल रहे है। जिसके चलते इन ट्रेनों में कई सीटें खाली चल रही हैं। ट्रेनों में खाली सीटों की स्थिति रेलवे द्वारा फ्लेक्सी किराया प्रणाली लागू करने के चलते हो रहा है जिन प्रीमियन ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया लागू किया गया है। उन ट्रेनों में सीटों का किराया बढ़ गया है जिसके चलते लोग अब इन ट्रेनों में सफर करना पसंद नहीं कर रहे है। जिसकी वजह से ट्रेनों में सीटे खाली जा रही हैं। जिसका असर रेलवे की कमाई पर भी पड़ रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि बीते 20 सितंबर को शताब्दी में कुल 309 सीटें खाली थीं । 21 सितंबर को 324 व 22 सितंबर को 256 सीटें खाली रह गई। शताब्दी जैसे ट्रेने जिनमें सीट मिलना बहुत मुस्किल होता था में इतनी सीटे खाली रहने सेआप समझ सकते हैं कि इन प्रीमियम ट्रेनों पर फ्लेक्सी किराया का कितना प्रभाव पड़ रहा है। क्या है फ्लैक्सी किराया वीवीआईपी ट्रेनों में लागू की गई फ्लैक्सी किराया प्रणाली में मौजूद कुल सीटों को दस भागों में विभाजत कर दिया जाता है। शुरू की 10 प्रतिशत सीटें सामान्य किराय पर आरक्षित होते हैं लेकिन उसके बाद यात्रियों को हर सीट के लिए 10 से 50 प्रतिशत अधिक किरया का भुगतान करना पड़ता है । इस प्रमाली के लागू होने के बाद शताब्दी एक्सप्रेस के यात्रियों में अचानक कमी आई है । रेलवे का दाव पड़ा उल्टा जहां एक ओर रेलवे इस फ्लेक्सी किराए के माध्यम से रेलवे को फायदा पहुंचाने का प्रयास कर रहा है वहीं फ्लेक्सी किराया के बढ़ने के इन प्रीमियम ट्रेनों से यात्रियों का मोह भंग होने से रेलवे को नुकसान का सामना करना पड़ सकता हैं।