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लखनऊ

राजभवन में हुआ ‘गीत रामायण’ का आयोजन देखें तस्वीरें

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5 years ago
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कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार के बीच हुये सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अनुबंध के अंतर्गत भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश मराठी समाज एवं महाराष्ट्र समाज लखनऊ के सहयोग से किया गया। इस वर्ष महाराष्ट्र के प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय जी0डी0 माडगुलकर एवं गायक स्वर्गीय सुधीर फड़के, जो ‘गीत रामायण’ के रचियता हैं का जन्म शताब्दी वर्ष है। राज्यपाल सहित सभी विशिष्टजनों ने स्वर्गीय जी0डी0 माडगुलकर एवं स्वर्गीय सुधीर फड़के की चित्र पर माल्र्यापण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में राज्यपाल सहित सभी विशिष्टजनों का सम्मान अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ देकर किया गया।

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राज्यपाल ने कहा कि ‘राज्यपाल के नाते ‘प्रोटोकाल’ के अंतर्गत मैं सबसे अंत में बोलता हूँ। पर आज मैं प्रोटोकाॅल तोड़ रहा हूँ क्योंकि इस कार्यक्रम का मैं संयोजक भी हूँ।’ यह प्रसन्नता की बात है कि राजभवन में वर्ष का पहला कार्यक्रम ‘गीत रामायण’ से शुरू हो रहा है। राज्यपाल ने कहा कि लोकमान्य तिलक के अजर-अमर उद्घोष ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ के 101 वर्ष पूर्ण होने के कार्यक्रम का आयोजन लोकभवन में हुआ था जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अनुबंध हुआ था।

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राम नाईक ने उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के रिश्तों को परिभाषित करते हुये कहा कि दोनों प्रदेशों का रिश्ता प्रभु राम चन्द्र के जमाने से है। प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ था पर वनवास के समय वे नासिक में रहे। शिवाजी का राज्याभिषेक काशी के विद्धान गागा भट्ट ने किया था। 1857 के स्वतंत्रता समर में तात्या टोपे, झांसी की रानी आदि का भी महाराष्ट्र से संबंध था। पं0 विष्णु नारायण भातखण्डे महाराष्ट्र से संगीत लेकर उत्तर प्रदेश आये। इसी प्रकार काशी के घाटों का भी महाराष्ट्र से रिश्ता है। उत्तर प्रदेश में महाराष्ट्र के लोग और महाराष्ट्र के लोग उत्तर प्रदेश में पीढ़ियों से सहजता के साथ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम दोनों प्रदेशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा।

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राज्यपाल ने कवि श्रेष्ठ ग0दि0 माडगुलकर से अपने पुराने संबंध साझा करते हुये बताया कि महाराष्ट्र में उन्हें लोग आधुनिक वाल्मिीकि के नाम से जानते हैं। ‘मेरा भाग्य है कि स्वर्गीय माडगुलकर मेरे पिता के विद्यार्थी थे और जब मैं पुणे पढ़ाई के लिये गया तो स्वर्गीय माडगुलकर के घर रहकर पढ़ाई की। स्वर्गीय माडगुलकर बाद में आमदार (विधायक) हो गये थे, मैं उन्हें बधाई देने गया तो उन्होंने आशीर्वाद देते हुये कहा कि तुम नामदार (मंत्री) बनो और उनके आशीर्वाद से 1998 में मैं अटल जी की सरकार में मंत्री भी बना।’ राज्यपाल ने स्वर्गीय सुधीर फड़के के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुये दोनों महापुरूषों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने विचार रखते हुये कहा कि यह मान्यता नहीं वास्तविकता है कि राम का जिसने साथ दिया वह ओजस्वी बना जैसे हनुमान जी घर-घर पूजे जाते हैं और वाल्मिीकि रामायण लिखकर महाऋषि के नाम से अमर हो गये। राम का विरोध करने वाले मारीच का जीवन बोझ बन गया। विदेशों में भी लोग राम के प्रति आस्था रखते हैं। राम के नाम की ताकत है कि स्वर्गीय ग0दि0 माडगुलकर एवं स्वर्गीय सुधीर फड़के की जन्म शताब्दी पर गीत रामायण के चार कार्यक्रम वाराणसी, आगरा, मेरठ और राजभवन लखनऊ में आयोजित किये गये। उन्होंने कहा कि राजभवन में ‘गीत रामायण’ वास्तव में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर बापू को श्रद्धांजलि है।

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विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का संबंध बहुत गाढ़ा है। जैसे उत्तर प्रदेश ‘राम कथा’ के वाचन की भूमि है उसी प्रकार ‘गीत रामायण’ महाराष्ट्र में बहुत लोकप्रिय रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे राज्यपाल श्री राम नाईक महाराष्ट्र के हैं और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हर बार कुछ नया करने का प्रयास करते हैं उसी प्रकार उत्तर प्रदेश के अमिताभ बच्चन महाराष्ट्र गये और महानायक हो गये। महाराष्ट्र सरकार के वित्त एवं वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने स्वर्गीय माडगुलकर और स्वर्गीय सुधीर फड़के को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि ‘गीत रामायण’ चिरंजीवी गीत है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच अमर प्रेम है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के रिश्ते ऐसे आयोजनों से और आगे जायेंगे।

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