राजेश अग्रवाल के खिलाफ थीं कई शिकायतें वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल (Rajesh Agarwal) के इस्तीफे की वजह उनकी उम्र 75 वर्ष हो जाना बताया गया था, लेकिन सूत्रों की मानें तो उनके ही विभागीय अपर मुख्य सचिव का फीडबैक उनके लिए भारी पड़ गया। तबादलों में मनमानी के आरोप और विभागीय कामकाज में एक करीबी के दखल की शिकायतें भी ऊपर तक थीं। इन्हीं सब कारणों के चलते विधानसभा उपचुनाव से पहले राजेश अग्रवाल को इस्तीफा देना पड़ा। राजेश अग्रवाल और अपर मुख्य सचिव के बीच शुरू से ही तालमेल नहीं बैठ पा रहा था। राजेश अग्रवाल ने स्थानांतरण नीति के परे जाकर जो भी तबादले किए, उन फाइलों को अपर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया। वहां से नीति के अनुरूप प्रस्ताव बनाकर देने के लिए कहा गया तो स्पष्ट हो गया कि अग्रवाल के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। राजेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को यहां तक लिखा कि अपर मुख्य सचिव उन्हें बिना दिखाए फाइलें सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज रहे हैं।
कमीशनखोरी और ट्रांसफर में गड़बड़ी धर्मपाल पर पड़ी भारी सिंचाई विभाग में तबादलों में हुई गड़बड़ी और बढ़ती कमीशनखोरी की गाज सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह (Dharmpal Singh) पर गिरी। सूत्रों के मुताबिक सिंचाई विभाग में बीते दो वर्षों से तबादलों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। विभाग में कमीशनखोरी और दलालों का सक्रिय होना भी धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की वजह बना।
अनुपमा भी विवादों से घिरी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल (Anupama Jaiswal) बेसिक शिक्षा अधिकारियों के तबादलों के साथ विभाग में जूते-मोजे, स्वेटर और पाठ्य पुस्तकों के टेंडर को लेकर विवाद में रहीं। गत वर्ष विभाग में बच्चों को फरवरी तक स्वेटर वितरित नहीं हुए थे। एक स्टिंग ऑपरेशन में भी अनुपमा जायसवाल के दफ्तर का नाम भी सामने आया था। तब सरकार ने अनुपमा के दफ्तर में कार्यरत निजी सचिव को हटा दिया था। तबादलों और टेंडर को लेकर अनुपमा का विभाग के अधिकारियों से भी टकराव हुआ। अनुपमा के कार्यकाल में हुई 68500 शिक्षकों की भर्ती में भी अनियमितताओं की शिकायतें आईं। 69000 शिक्षकों की भर्ती अभी तक उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
अर्चना को ले डूबी निष्क्रियता भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग राज्यमंत्री अर्चना पांडेय (Archana Pandey) को सरकार और संगठन के कामकाज में निष्क्रियता का खामियाजा भुगतना पड़ा। एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में अर्चना पांडेय के निजी सचिव पर भी गाज गिरी थी। लोकसभा चुनाव में अर्चना पांडेय के निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें हटाए जाने की एक वजह इसे भी माना जा रहा है।