नहीं था तीनों का कोई सानी एक महीने के अंदर तीन हस्तियों ने खुद को गोली मारकर जिंदगी खत्म कर दी। इन तीनों लोगों का विवादों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। पैसा, शोहरत और रूतबे में भी तीनों हस्तियां का कोई सानी नहीं था। भय्यूजी महाराज जहां धर्म का पाठ पढ़ाते तो घुड़सवारी के साथ तलवारबाजी के जौहर से अपने प्रसंशकों को खुश करते। वहीं राजेश साहनी और हिमांशु राय से आतंकवादी और अपराधी थर-थर कांपते थे। दोनों अफसरों ने आईएस सहित कई आतंकी संगठनों की कमर तोड़ कर रख दी थी, पर दोनों अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहे थे और इसी के कारण हंसते खेलते परिवार को छोड़कर इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
कौन थे राजेश साहनी पुलिस महकमे में राजेश साहनी ऐसे चंद अफसरों में शुमार थे, जो किसी तरह के विवाद और चर्चाओं से दूर थे। तमाम व्यस्तताओं के बीच उनका चेहरा हमेशा मुस्कराता रहता था। महकमे के साथी हों या फिर मीडियाकर्मी सब उनके कायल थे। 1992 बैच के पीपीएस सेवा में चुने गए राजेश साहनी 2013 में अपर पुलिस अधीक्षक बने थे। वह मूलतः बिहार में पटना के रहने वाले थे। 1969 में जन्मे राजेश साहनी ने राजनीति शास्त्र से एमए किया था। राजेश साहनी ने आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी समेत कई बड़े ऑपरेशन को हालही में अंजाम दिया था। उत्तर प्रदेश पुलिस के काबिल अधिकारियों में राजेश साहनी की गिनती होती थी। इतनी काबिलियत और जुनून के बावजूद राजेश साहनी कहीं न कहीं अकेलेपन की भेंट चढ़ गए।
हिमांशु रॉय से थर-थर कांपते थे क्रिमिनल मुंबई के पुलिस विभाग में कई बड़ी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हिमांशु रॉय ने भी बीती 29 मई को अपने घर में गोली मारकर सुसाइड कर ली। मुबई पुलिस के सुपरकॉप हिमांशु रॉय 1988 बैच के IPS अधिकारी थे। मुंबई में ही पैदा हुए रॉय की गिनती मुंबई पुलिस के सबसे तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती थी। मुंबई पुलिस ने रॉय के नेतृत्व में कई बड़े केसों का खुलासा हुआ। मुंबई पुलिस में साइबर क्राइम विभाग की स्थापना भी रॉय ने ही की थी। इसके अलावा हिमांशु रॉय 2013 की आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग, 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले की जांच में भी वह अहम हिस्सा रहे। 11 जुलाई, 2006 को पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेन में हुए सीरियल ब्लास्ट की जांच में भी हिमांशु रॉय शामिल थे।
भय्यूजी महाराज ने क्यों चुनी मौत भय्यूजी महाराज ने मंगलवार को खुदकुशी कर ली। खुदकुशी से पहले एक कागज पर उन्होंने लिखा कि बहुत ज्यादा तनाव में हूं, छोड़ कर जा रहा हूं। इसके बाद भय्यूजी महाराज ने अपनी बंदूक से खुद को गोली मार ली। भय्यूजी महाराज को जब तक अस्पताल लेकर पहुंचते, उससे पहले ही वह दुनिया को अलविदा कह चुके थे। आपको बता दें कि भय्यूजी महाराज के लाखों-करोड़ों चाहने वाले थे और देश की नामी हस्तियां उनसे मिलने आती थीं। लेकिन फिर भी भय्यूजी महाराज अपने अकेलेपन से पार न पा सके और जिंदगी खत्म कर ली।
डॉक्टर ने बताया मौत का राज वहीं इन तीनों नामी हस्तियों के सुसाइड करने पर कानपुर के मनोचिकित्सक डॉक्टर विमल रस्तोगी कहते हैं कि ये लोग आम इंसान नहीं थे। वह खुशी-खुशी अपना जीवन जीना चाहते थे, पर नौकरी और अकेलेपन के चलते वह मनोरोग से ग्रसित हो गए और खुद को गोली मार कर इस दुनिया से चले गए। डॉक्टर के मुताबिक ऐसे लोगों के रहन सहन में एकाएक बदलाव दिखने लगता है। वह अक्सर परिवार और अपने मित्रों से दूरियां बना लेते हैं और इनपर ड्रिपेशन इतना हावी हो जाता है कि वह बिना कुछ सोचें खुद को मौत के हवाले कर देते हैं।