स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे सरकार इको गार्डेन पार्क में आयोजित महापंचायत में भाकियू प्रवक्ता ने कहा कि पीएम मोदी के माफी मांगने से देश के किसानों का भला होने वाला नहीं है। राकेश टिकैत ने कहा कि उनका भला एमएसपी कानून बनाने से होगा। उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है कि कमेटी बना रहे हैं, जबकि 2011 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि किसानों के लिए एमएसपी लागू करें। भाकियू प्रवक्ता ने बताया कि ये रिपोर्ट पीएमओ में रखी है उसे ही लागू कर दें, नई कमेटी की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा चुनाव में किया था। लेकिन अभी तक उस रिपोर्ट पर अमल नहीं हुआ है।
चरणवार तरीके से जारी रहेगा आंदोलन टिकैत ने बताया कि पहले तीन क्विंटल गेहूं बेचने पर तीन तोला सोना मिलता था, अब किसान तीन क्विंटल तीन तोला सोना मांग रहा है। टिकैत ने कहा कि दो करोड़ नौकरियों का वादा किया और काम प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है, देश प्राइवेट मंडी बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा की है, जबकि सिर्फ तीन कानूनों की वापसी भर से किसान मानने वाला नहीं है। भाकियू प्रवक्ता ने बताया कि आंदोलन चरणवार जारी रहेगा।
अजय मिश्रा को मुख्य अतिथि ना बनाया जाए किसान महापंचायत में राकेश टिकैत ने एलान किया गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को बर्खास्त करके गिरफ्तार किया जाए। राकेश टिकैत ने कहा कि जानकारी मिली है कि लखीमपुर हिंसा के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी शुगर मिल का उद्घाटन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो किसानों का गन्ना मिल पर नहीं डीएम के दफ्तर में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत से हल निकाल लें वरना चुनाव में सबक सिखाएंगे। भारतीय किसान सभा के नेता अतुल अंजान ने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत का लाभकारी मूल्य चाहिए। महापंचायत में पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की गिरफ्तारी समेत 6 मांगों पर अड़े किसान कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। बताया जा रहे है किसान नेता अपनी 6 अन्य प्रमुख मांग पूरी ना होने तक आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं है। ये हैं किसान नेताओं की 6 प्रमुख मांगें हैं।
1- खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बनाया जाए। 2- विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020-2021 का ड्राफ्ट वापस लिया जाए।
3- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए। 4- पिछले एक वर्ष में किसान आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं, जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है।
5- दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान जून 2020 से अब तक हुए केसों को तत्काल वापस लिया जाए। 5- लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए।
6- किसान आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन दी जाए।