लखनऊ

29 मार्च को दर्शक देख सकेंगे राम की जन्मभूमि, रिजवी ने कही यह बात

वसीम रिजवी द्वारा प्रोड्यूस और लिखी गयी राम की जन्मभूमि फिल्म राम मंदिर आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं पर आधारित है

लखनऊMar 16, 2019 / 01:28 pm

Karishma Lalwani

29 मार्च को दर्शक देख सकेंगे राम की जन्मभूमि, रिजवी ने कही यह बात

लखनऊ. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मसले के समाधान के लिए जारी मध्यस्थता के बीच उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की फिल्म ‘राम की जन्मभूमि’ 29 मार्च को रिलीज हो रही है। चुनावी सीजन में रिलीज होने वाली इस फिल्म को सेंसर बोर्टड से ए सर्टिफिकेट मिल चुका है। वसीम रिजवी द्वारा प्रोड्यूस और लिखी गयी यह फिल्म राम मंदिर आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं पर आधारित है। इसके अलावा फिल्म में हलाला और तीन तलाक के विषयों को भी दर्शाया गया है।
राम की जन्मभूमि 700 थिएटर्स में रिलीज होगी। लेकिन फिल्म को दर्शकों के समक्ष रखना रिजवी के लिए आसान नहीं था। रिजवी ने बताया कि फिल्म में 1990 में कारसेवकों पर हुए हमले और मुस्लिम समुदाय द्वारा अनाचार को भी दर्शाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले इस्लाम धर्म के ठेकेदारों पर करार प्रहार करेगी। फिल्म वह सब कुछ दिखाया गया है, जो एक सभ्य मुस्लिम समाज को नहीं करना चाहिए। इसके लिए बहुत से धार्मिक संगठनों ने रिजवी के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज की। न केवल धार्मिक संगठनों बल्कि अंडरवर्ल्ड के डॉन टाइगर मेनन के भाई अब्दुल मेनन ने उन्हें कानूनी नोटिस के साथ फिल्म न दिखाने की धमकी दी थी। इस धमकी के खिलाफ, रिजवी ने एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। धार्मिक संगठनों द्वारा दिए गये सभी कानूनी नोटिसों और विरोध के बाद, फिल्म के प्रचार को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से समाप्त कर दिया गया था। लेकिन सभी विवादों के बाद भी फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया गया है। इस फिल्म में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को शामिल किया गया है। फिल्म को अयोध्या के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर दर्शाया गया है।
इन्होंने किया फिल्म रिलीज का बहिष्कार

बाबर के वंशज हैदराबाद के प्रिंस याकुब हबीबुद्दीन तुसी ने फिल्म ट्रेलर पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि फिल्म रिलीज से पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने यह आश्वासन दिया था कि फिल्म में मुस्लिम या मुगलों के खिलाफ कोई दृश्य नहीं दिखाया जाएगा। लेकिन क्योंकि सीबीएफसी और रिजवी ने ऐसा नहीं किया है इसलिए इनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां ने भी फिल्म रिलीज पर नाराजगी प्रकट की है। एक बयान में उन्होंने कहा कि सरकार यह फिल्म दिखाने के लिए आतुर है। अब सिर्फ दर्शक ही फिल्म को न देखने के लिए इसे बॉयकॉट करने का फैसला कर सकते हैं। उनका कहना है कि समाज में कुछ ऐसे लोग हैं, जो सोसायटी को जाति के नाम पर बांटना चाहते हैं। इनसे लड़ने का सही तरीका है मतदान करना और बदलाव के लिए चुनाव करना।
ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने फिल्म रिलीज डेट टालने की मांग की है। उन्होंने चुनाव आयोग से राम की जन्मभूमि को इलेक्शन तक टालने की मांग की है। उनका कहना है कि अयोध्या मसले को मध्यस्थता से सुलझाने का प्रयास जारी है। यह एक गंभीर पॉलिटिकल मुद्दा है और ऐसे में आचार संहिता लागू होने के बाद भी चुनाव के दौरान फिल्म को रिलीज करना देशे के वातावरण को प्रभावित करेगी।
फिल्मों से दर्शकों का दिल जीतने की तैयारी

राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित करने वाली फिल्मों से समाज में नई बहस छिड़ी है। इस वर्ष जनवरी में संजय बारू की ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और उरी हमले पर आधारित ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ सिल्वर स्क्रीन पर आई। ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ कांग्रेस हुकूमत पर निशाना साधती है। यह दस वर्षों की मनमोहन सिंह की हुकूमत को रिमोट से संचालित होते प्रदर्शित करती है, जबकि दूसरी तरफ ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के त्वरित फैसला लेने और पाकिस्तान के खिलाफ दम ठोंकने की कहानी दोहरा रही है।
15 मार्च को राकेश ओमप्रकाश मेहरा की ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ रिलीज हुई, जिसमें स्वच्छता पर जोर दिया गया है। इसी कड़ी में पीएम नरेंद्र मोदी की बायोपिक चुनावी माहौल के दौरान 12 अप्रैल को रिलीज होगी। फिल्म में विवेक ओबरॉय पीएम मोदी का किरदार निभा रहे हैं। जबकि फिल्म का निर्देशन डायरेक्ट उमंग कुमार ने किया है। इस फिल्म की शूटिंग जनवरी में ही शुरू की गई थी।
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