जिससे माँ-बाप से भी दूरी हो जाती है। दोनों एक दूसरे को समझे केवल पैसे से दायित्व पूरा नहीं होता, आपसी भावनात्मक बन्धन जरूरी है। बुजुर्गों को खुशी बच्चों के प्यार और सम्मान से मिलती है। हर व्यक्ति की अपनी समस्या है और समस्या का हल निकालना ही समस्या का अन्त है। जो समस्या का हल निकालता है वही सफल होता है।
उन्होंने कहा कि दुखी हाने से नहीं बल्कि सकारात्मक विचार ही से समाधान निकलता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ ने कहा कि परिवार में प्रेम का संचार होना चाहिए। छोटे-बड़े एक दूसरे के प्रति आदर व प्रेम प्रदर्शित करें। उन्होंने कहा कि केवल कानून से नहीं स्वयं के व्यवहार में परिवर्तन लाने से बदलाव आता है।