राज्यपाल ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के माध्यम से पूरे विश्व को एक परिवार का दर्शन दिया। शिकागो में स्वामी विवेकानन्द ने उपस्थित जन समूह को ‘भाईयों-बहनों’ कहकर सम्बोधित किया, जो दूसरों से अलग था, जिसके कारण लोग भारतीय ज्ञान और दर्शन के प्रति आकर्षित हुए। भारत की विशेषता ज्ञान बांटने वाले देश की है। उन्होंने कहा कि यदि देशवासी इस भूमिका में काम करें तो भारत बौद्धिक सम्पदा के आधार पर विश्व गुरू बन सकता है।
राम नाईक ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने देश और दुनिया के लोगों को नई सोच और नई दिशा दी तथा देशवासियों में स्वाभिमान और राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। भारतीय वेदान्त, दर्शन और आध्यात्म पर समूचे विश्व के सामने अपने विचार रखे। शिकागो में आयोजित विश्व धर्म परिषद में दिये गये उनके उद्बोधन से भारत की एक विशेष छवि बनी। उनके व्याख्यान से यह सिद्ध हुआ कि भारतीय संस्कृति में सभी को समाहित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा प्राप्त करके हमारे युवा उनके विचारों को आत्मसात करने का प्रयास करें।
राज्यपाल ने कहा कि ‘कुम्भ-2019’ इस वर्ष कई कारण से अलग है। पहले कुम्भ इलाहाबाद में आयोजित होता था। इस वर्ष इलाहाबाद का पौराणिक नाम प्रयागराज पुनःस्थापित किया गया है। कुम्भ के दौरान राज्य सरकार के प्रयास से ‘अक्षयवट’ और ‘सरस्वती कूप’ के दर्शन भी आम जनता को होंगे। पूर्व विधान परिषद सदस्य विन्धवासिनी कुमार के सुझाव पर उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐतिहासिक झण्डेे वाले पार्क में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रस्ताव को लिखकर भेजें जिससे उस पर कार्यवाही की जा सके।