एक अखबार को दिए इंटरव्यू में डॉ. रामविलास वेदांती ने अयोध्या में दो सौ एकड़ की भूमि पर मंदिर बनवाने की बात कही। रामविलास वेदांती को राममंदिर से सरोकार विरासत में मिला। 1968 में उन्होंने हनुमानगढ़ी के जिन गुरु अभिरामदास के मार्गदर्शन में साधु जीवन अंगीकार किया, वे 22-23 दिसंबर 1949 की रात विवादित ढांचे के नीचे रामजन्मभूमि पर रामलला के प्राकट्य प्रसंग की केंद्रीय भूमिका में थे। हनुमानगढ़ी स्थित गुरु आश्रम में रहने की शुरुआत के साथ वेदांती को रामलला की सेवा-पूजा का अवसर मिला। कालांतर में वे इस अवसर से वंचित हुए, तो मंदिर आंदोलन की अगुआई कर उन्होंने रामलला से सरोकार अर्पित किया। 1984 में रामजन्मभूमि मुक्ति का संकल्प लेने से पूर्व विहिप ने राम-जानकी रथयात्राएं निकालीं, तो इन यात्राओं को कामयाब बनाने का दायित्व वेदांती ने संभाला।
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