घनश्याम सिंह लोधी का राजनीतिक सफर जानें घनश्याम सिंह लोधी का राजनीतिक सफर में बहुत ही चौंकाने वाले मोड़ हैं। वर्ष 1992 से 1998 तक भाजपा की युवा शाखा के जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 1999 में, उन्होंने भाजपा छोड़ दी और वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। इसके बाद घनश्याम लोधी ने 2004 में बहुजन समाज पार्टी छोड़ दी और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में शामिल हो गए। साल 2009 में घनश्याम लोधी फिर से बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। फिर घनश्याम सिंह लोधी ने 2010 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली और जनवरी 2022 में वे अपनी सबसे पुरानी पार्टी भाजपा में दोबारा शामिल हो गए।
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सीएम योगी आदित्यनाथ के हेलिकॉप्टर से टकराया पक्षी, इमरजेंसी लैंडिंग कई बार चुने गए घनश्याम सिंह लोधी दो बार विधान परिषद चुने जा चुके हैं। सबसे पहले वह समाजवादी पार्टी के समर्थन से कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के टिकट पर रामपुर-बरेली स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से 2004 में एमएलसी बने थे। इसके बाद इसी क्षेत्र से 2016 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एमएलसी बने। वर्ष 2016 में आजम की वजह से ही सपा ने घनश्याम सिंह लोधी को एमएलसी चुनाव लड़ाया।
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बकरीद से पहले अपने कीमती बकरों को छुपा कर रख रहे लोग, वजह जानेंगे तो चौंक जाएंगे रामपुर में पहली बार हुए उपचुनाव सियासत में रामपुर की सीट हमेशा से चर्चा में रही है। सपा नेता आजम खां के लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रामपुर संसदीय सीट खाली हो गई थी। आजादी के बाद रामपुर में ऐसा पहली बार हुआ, जब यहां लोकसभा की सीट के लिए उपचुनाव हुए हैं।
व्यक्तिगत प्रहार नहीं एक कमाल यह जरूर देखने को मिला कि, पूरे चुनाव के दौरान आजम खान और घनश्याम लोधी ने मर्यादा बनाए रखी और एक दूसरे के खिलाफ व्यक्तिगत प्रहार करने से बचते रहे।