scriptइसलिए चंद्र ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं मंदिरों के पट, जानें क्या है वजह | reason why temples will be closed on chandra grahan | Patrika News

इसलिए चंद्र ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं मंदिरों के पट, जानें क्या है वजह

locationलखनऊPublished: Jan 31, 2018 04:50:33 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को पड़ा है। इसलिए चंद्र ग्रहण के दिन देश में हर जगह मंदिर बंद किए गए हैं।

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लखनऊ. साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को पड़ा है। साल का पहला चंद्रग्रहण है और ये शाम 5:35 बजे से लेकर 8:42 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए, न ही भगवान का स्पर्श करना चाहिए। इसलिए चंद्र ग्रहण के दिन देश में हर जगह मंदिर बंद किए गए हैं।
नियमित रूप से होगी सफाई

चंद्र ग्रहण के साथ ही सूतक काल भी लग गया है, जो सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर लगा है। सूतक काल रात 08 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। चंद्र ग्रहण के दिन सभी जगह मंदिर बंद किए गए हैं। ये मंदिर ग्रहण खत्म होने के बाद खुलेंगे। मंदिर खुलते ही इनमें नियमित रूप से सफाई करवाई जाएगी। इसके बाद पूजा पाठ होगा, आरती होगी। कुल मिलाकर कहा जाए, तो रोज के नियम अनुसार मंदिरों में पूजा की जाएगी। लेकिन ये काम ग्रहण खत्म होने के बाद शुरू होंगे।
नहीं करने चाहिए कोई भी शुभ कार्य

लखनऊ के शिव मंदिर से पुजारी सोमनाथ द्विवेदी ने बताया कि चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसलिए मंदिर बंद किए जाते हैं। कोई भी शुभ काम इस दौरान करना या पूजा पाठ करना अशुभ माना जाता है। इस वजह से मंदिर बंद किए गए हैं।
वह आगे बताते हैं कि चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण आरंभ होने के 9 घंटे पहले लगता है। इसका हिन्दू काल में विशेष महत्व होता है। जब बच्चे का जन्म होता है या फिर घर में किसी की मृत्यु होती है, तब उस घर में सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, न ही भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान अन्य किन बातों का देना चाहिए ध्यान

हिन्दू मान्यतानुसार चंद्र ग्रहण के समय कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं का बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय राहु और केतु का दुष्ट प्रभाव बढ़ जाता है। जिसके दुष्प्रभाव के कारण गर्भ में पल रहे बच्चें को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
चंद्र ग्रहण के समय सर में तेल लगाना, पानी पीना, मल- मूत्र त्याग, बाल में कंघी, ब्रश आदि कार्य नहीं करना चाहिए। घर में रखे अनाज या खाने को ग्रहण से बचाने के लिए दूर्वा या तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मण को अनाज या रुपया दान में देना चाहिए।
घर में रखे अनाज या खाने को ग्रहण से बचाने के लिए तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मण को अनाज या रुपया दान में देना चाहिए।
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