नवाबों ने जताया ऐतराज पीढ़ी के नवाब बदरुल बादुर उर्फ पप्पू पॉलिस्टर का कहना है कि शाही तबर्रुक हमारे बुजुर्गों की सौगात है। यह 180 साल पुरानी परंपरा है और ट्रस्ट का यह कदम नवाबीन की शान के खिलाफ है। इस सिलसिले में बेगमात रॉयल फैमिली ऑफ अवध की अध्यक्ष फरहाना मालिकी ने ऐतराज जता कर सवाल उठाया है कि आखिर ट्रस्ट कब से नवाबी खानदान का सर्टिफिकेट देने लग गया। उन्होंने कहा है कि पिछले साल तक सभी वंशज, जो कि पेंशन होल्डर थे उन्हें छोटा इमामबाड़ा और शाहनजह की रॉयल कम्युनिटी से चना दाल, खमिरी तोई, बकरखानी और आलू दिया जाता था। लेकिन इस साल मोहर्रम पर कई नवाबीनों को तबर्रुक नहीं मिला।
हुसैनाबाद एेंड अलाइड ट्रस्ट के तहत नवाबीनों के घर पर पांच दिन हंडिया में दाल और दस रोटी भेजा जाता था। इसके अलावा एक बड़ी रोटी जिसे शीरमालनुमा कहा जाता है, वो भी होती थी।
नासिर हुसैन नकवी ओएसडी, हुसैनाबाद ऐंड एलाइड ट्रस्ट ने कहा कि सूची के तहत तबर्रुक भेजा जाता है। इस बार 300 नवाबों की सूची हमारे पास है। इसी के तहत तबर्रुक भेजा जाता है। ऐसे तो कई लोग दावा कर सकते हैं कि वे नवाबीन के वंशज हैं लेकिन सभी को नवाब नहीं मान लिया जाएगा। नवाब सिर्फ उन्हें ही माना जाएगा जो कि ट्रस्ट में रजिस्टर्ड हैं, अब सिर्फ उन्हें ही तबर्रूक दिया जाएगा।
एचएटी के अधिकारियों के मुताबिक पहले तबर्रुक भेजने के लिए दो किचन का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब सिर्फ एक ही किचन से तबर्रुक भेजा जाएगा। एचएटी सचिव और एडीएम संतोष कुमार वैश ने कहा कि ”छोटा इमाम्बारा से सभी सूचियों और भोजन को भेजा जा रहा है। यह एक परंपरागत बात है और परिवारों को दो जगहों से भोजन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। “