रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के मुख्य कार्य शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करना इस संस्था का मुख्य कार्य है। यह संस्था सेटेलाइट के जरिए उपजाउ जमीन और बंजर जमीन का सर्वे करती है। इसके साथ ही साथ यह भी बताती है कि कहां कितना पानी है। जमीन के अंदर भी पानी की स्थिति यह संस्था अपने सर्वेक्षण में पता कर लेती है। शहरी क्षेत्रों में संस्था अवैध कालोनियों का भी सर्वे करती है। किस क्षेत्र में पानी का दोहन कितना अवैध हो रहा है इसकी रिपोर्ट सर्वेक्षण के जरिए संस्था तैयार कराती है और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपती है। इसी प्रकार नगर निगमों की आय बढ़ाने के लिए किस क्षेत्र में कितने मकाान हैं। कितने व्यवसायिक है और कितने रिहायसी। इसका भी सर्वे रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर द्वारा किया जाता है। यह पता लग जाने के बाद नगर निगमों की हाउस टैक्स और वाटर टैक्स की आय बढ़ जाती है।
हवाई सर्वे की जिम्मेदारी रिमोट सेंसिंग सेंटर पर बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडये ने आदेश दिए थे कि समस्त नगर निगम और समस्त विकास प्राधिकरण अपने जीपीएस सर्वे का काम उत्तर प्रदेश रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से कराएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कानपुर विकास प्राधिकरण, लखनऊ और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को को छोड़कर बाकी सभी अपनी मर्जी से काम करा रहे हैं। इसी प्रकारण लखनऊ, गाजियाबाद और कानपुर नगर निगम भी अपना काम इसी सेंटर के जरिए करा रहा है। बाकी 13 नगर निगमों और 23 विकास प्राधिकरणों ने सीएम के आदेश को दर किनार कर रखा है।
निजी संस्थाओं को दे दिया काम
जिन नगर निगमों और विकास प्राधिकरणो नेअपना काम अभी तक पूरा नहीं किया है
सरकार ने उनसे कारण पूछा है। इसी दौरान शासन को यह संज्ञान में लाया गया कि ज्यादातर विकास प्राधिकरणो और नगर निगमो ने हवाई सर्वेक्षण की जिम्मेदारी निजी संस्थाओं को मंहगे दाम पर देदी है। ऐसा करने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं वह भी आश्चर्य जनक हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार- नगर निगम के अधिकारी यह कहते हैं कि वह शासन के आदेश के तहत काम करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जो काम पहले से चला आ रहा है उसे बीच में रुकवाना उचित नहीं होगा। पूर्व में जो अधिकारी ऐसा कर गए हैं, उसकी वजह पता कराई जा रही है।
रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के अध्यक्ष सुधाकर त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने पहले मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडये को फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरी बात से अवगत करा दिया है। सीएम को पत्र लिखकर ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है क्यों कि वे इस संस्था की दरों से बहुत मंहंगे पर काम कर रहे हैं।