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जहां रहे जिलाधिकारी अब वहीं से खेलेंगेे चुनावी पारी

locationलखनऊPublished: Apr 02, 2019 04:30:12 am

Submitted by:

Neeraj Patel

अब रिटायर जिला अधिकारी भी चुनावी मैदान में उतरे, पसंदीदा पार्टी का थामा दामन, जानिए कौन कहां से लड़ेगा चुनाव
 

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लोकसभा चुनाव

लखनऊ. यूपी की सियासत में Ž ब्यूरोक्रेट और टेक्नोक्रेट भी रिटायर होने के बाद पूरी तरह से सक्रिय हो जाते हैं। यूपी में कई आईएएस, आईपीएस, आईआरएस आदि सेवाओं के बड़े अधिकारी रिटायर होने के बाद अपनी पसंदीदा पार्टी का दामन थामा, जिसमें कुछ लोगों ने ऐसा कमाल दिखाया जैसे वह अपनी नौकरी में दिखाया करते थे। कुछ लोग तो ऐसे है जो जहां से डीएम रह चुके हैं वह वहीं से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं और कई लोग तो ऐसे भी रहे जो सेवाकाल में किसी अन्य दल के करीबी रहे और अपनी सियासी पारी किसी अन्य दल से शुरू कर दी।

हमेशा चर्चा में रहने वाले पूर्व आईएएस पीएल पुनिया ने 2005 में नौकरी छोड़ी और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा गए। उन्हें मंत्री पद का दर्जा देते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जन जाति आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था। पुनिया 2014 में चुनाव हार गए पर राज्यसभा पहुंच गए। पुनिया का नाम 1995 में उछला था, जब मुलायम सिंह की सरकार जाने के बाद मायावती मुख्यमंत्री बनीं और उन्हें अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी बना दिया।

इस समय देश में कांग्रेस के बड़े नेता हैं। उनके बेटे को इस बार कांग्रेस ने बाराबंकी से टिकट दिया है। मायावती के कभी खास अफसरों में गिने जाने वाले रिटायर्ड आईएएस अधिकारी गोंडा की सीट सपा के कोटे में चले जाने के कारण नागरिकता एकता पार्टी से गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। रामबहादुर भी गोंडा के डीएम रह चुके हैं। राम बहादुर 2014 में बसपा से मोहनलालगंज से चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके। पीएल पुनिया और ब्रजलाल समेत कई ऐसे Žयूरोक्रेट है जिन्होंने नौकरी के बाद राजनीति में भी सफल पारी खेल रहे हैं। पीएल पुनिया बाराबंकी से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं इस समय वह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं वही ब्रजलाल भारतीय जनता पार्टी से अपनी राजनैतिक पारी शुरू की थी, वे भाजपा में महत्वपूर्ण पद पर आसीन हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे नौकरशाह रहे हैं जो आज सफल राजनीतिज्ञ हैं।

रह चुके हैं डीएम

रिटायर आईएएस अधिकारी विजय शंकर पांडे अपनी ही लोकगठबंधन पार्टी से फैजाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। जो मायावती सरकार में अपर मुख्य सचिव और केंद्र सरकार में सचिव पद पर तैनात रहे। खास बात यह है कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान विजय शंकर पांडे फैजाबाद के डीएम रह चुके हैं।

मंत्री के निजी सचिव को भी मिला मौका

बहुजन समाज पार्टी की सरकार में कद्दावर मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निजी सचिव रहे सीएल वर्मा मोहनलालगंज (सुरक्षित) सीट से प्रत्याशी घोषित हुए हैं €योंकि बसपा ने उन्हें लोकसभा प्रभारी बनाया है और बसपा में प्रभारी ही बाद में प्रत्याशी होता है। सीएल वर्मा को बसपा शासनकाल में मिनी मंत्री के नाम से भी जाना जाता था। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में ही लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता रहे इंजीनियर टी राम पिछली बार अजगरा (वाराणसी) से विधायक का चुनाव जीते थे। इस बार वे चुनाव हार गए। अब उनको गठबंधन के बसपा कोटे से किसी सुरक्षित लोकसभा सीट से उ्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है।

आजमा चुके भाग्य

रिटायर आईएएस अधिकारी आईपी ऐरन, देवी दयाल, राय सिंह, डॉ€टर ओम पाठक और रिटायर पीसीएस अधिकारी बाबा हरदेव सिंह, रिटायर आईपीएस एसआर दारापुरी, विधानसभा के प्रमुख सचिव आरपी शु€ला और सीएमओ डॉ पी के राय अपना भाग्य लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में आजमा चुके हैं। डीजी स्तर के आईपीएस अधिकारी सूर्य कुमार शु€ला ने तो अपनी राजनीतिक मंशा सेवाकाल में ही जता दी थी।

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