scriptकॉस्मेटिक क्रीम और ड्राई लगाने पर पैराबैंगनी किरणों से खतरा, हो सकता है रिएक्शन | risk of ultraviolet rays on applying cosmetic cream and hair dry | Patrika News

कॉस्मेटिक क्रीम और ड्राई लगाने पर पैराबैंगनी किरणों से खतरा, हो सकता है रिएक्शन

locationलखनऊPublished: Sep 16, 2019 01:38:59 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– कॉस्मेटिक क्रीम और बालों में ड्राई लगाने से पैराबैंगनी किरणों से खतरा
– पैराबैंगनी किरणें त्वचा कैंसर का मुख्य कारण
– चेहरे पर लाल चकते, फफोले पड़ते हैं

लखनऊ. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि कॉस्मेटिक क्रीम (Cosmetic Cream) और बालों में ड्राई लगाने वाले लोगों को पैराबैंगनी किरणों (UV Rays) से संपर्क में आने का खतरा हो सकता है। इस नुकसान से बचाने के लिए आईआईटीआर की फोटो बायोलॉजी की टीम लोगों को जागरूक करेगी।
आईआईटीआर की फोटो बायोलॉजी डिवीजन के वैज्ञानिक और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के सदस्य डॉ. रतन सिंह राय की टीम ने पैराबैगनी किरणों के प्रभाव पर अध्ययन किया। अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि गर्मियों में पैराबैगनी किरणों की मौजूदगी सबसे ज्यादा होती है। इन किरणों का प्रभाव देखा गया तो पता चला कि कॉस्मेटिक क्रीम और हेयर ड्राई में मौजूद रसायनों के साथ रिएक्शन हो रहा है। इससे त्वचा पर लाल चकते पड़ सकते हैं और फफोलों की भी समस्या हो सकती है। वहीं, फील्ड में काम करने वाले लोगों के डीएमए में भी दिक्कत पैदा कर सकता है।
क्या होती है पैराबैंगनी किरणें

पैराबैंगनी किरणें सूर्य से निकलने वाली किरणें हैं। आमतौर पर इन किरणों को देखा नहीं जा सकता इसलिए इनसे होने वाले नुकसान के बाद ही इनके असर के बारे में पता चलता है। यह त्वचा कैंसर का मुख्य कारण बनती हैं। वहीं, पैराबैंगनी किरणों के प्रभाव से सनबर्न, टैनिंग और समय से पहले बूढेपन का असर चेहरे पर दिखने लगता है।
कमजोर परत से बढ़ रहा पैराबैगनी किरणों का असर

डॉ. राय ने कहा कि पैराबैगनी किरणों से बचाने का काम ओजोन लेयर करती है। इसके अलग-अलग भाग का काम अलग-अलग होता है। लेकिन परत कमजोर होने की वजह से पैराबैगनी किरणों का असर बढ़ रहा है जो कि मनुष्य के लिए खतरनाक है। आने वाले समय में यह और खतरनाक हो सकता है। इसका एक मुख्य कारण प्रदूषण है।
ये हो सकती है परेशानी

डीएनए में बदलाव से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इसके अलावा त्वचा रोग, आंख के कार्निया में सूजन, जलन व अस्थमा का भी असर डीएनए में बदलाव से हो सकता है।
11 से 3 के बीच सबसे ज्यादा खतरा

सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक तेज धूप होती है। ऐसे समय में निकलने से पहले आंखों पर यूवी प्रोटेक्टेड चश्मा लगाएं। पूरी बांह के कपड़े पहनें ताकी धूप से अधिकांश शरीर ढका रहे। अपने आसपास हरियाला का वातावरण रखने से भी पैराबैंगनी किरणों का असर कम होता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो