ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध तीन तलाक के बिल को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपना विरोध जता चुकी है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री ने बोर्ड पर कई आरोप लगाए हैं।
पर्सनल लॉ बोर्ड एनजीओ की तरह है मोहसिन रजा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को एनजीओ करार देते हुए कहा है कि वह अपने निजी स्वार्थ में ही तीन तलाक का विरोध कर रहा है। ये महिलाओं के गौरव औऱ सम्मान की बात है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे आज भी वो दिन याद है जब 1986 में शाह बानो केस में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दबाव बनाया था। ये वो दौर था जब मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करते हुए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में पलट दिया था। इस फैसले का असर ये हुआ था कि मुस्लिम महिलाओं को 30 साल तक झेलना पड़ गया था।
हर कास्ट का अपना उसूल मोहसिन रजा की मानें तो हर कास्ट का अपना उसूल होता है। किसी को अधिकार नहीं कि बार-बार नियम, कानून और शरियत की बात में दखल दें। देश में लाखों एनजीओ हैं, उन्हीं में से एक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी है। लेकिन ये लोगों का भला करने का काम करें। इन्होंने जो आज तक लोक कल्याण के काम किए हैं, उनकी भी सूची इन्हें देनी चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि हम भी इन्हें ईनाम से नवाजें। मुस्लिम लॉ बोर्ड सिर्फ एक संस्था है, उसे संस्था ही चलानी चाहिए। वह न तो शरियत का हिस्सा है न ही संविधान का हिस्सा है।
तीन तलाक पर लिए गए फैसले पर लखनऊ के कपूरथला में रहने वाली अफ्शा का कहना है कि सरकार का ये फैसला बहुत सही है। ये मुस्लिम महिलाओं के हक की बात है।