प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चार साल के कार्यकाल के पूरे होने के अवसर पर उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और राजनीतिक सफरनामे पर प्रकाशित हो रही एक नई पुस्तक “नरेन्द्र मोदीः द ग्लोबल लीडर” में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समर्पण भाव से पूरी ईमानदारी के साथ राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। वे जो भी फैसले ले रहे हैं, वह सभी देश हित में हैं। इस पुस्तक का प्रकाशन अमर फाउंडेशन ने किया है।
राधेकृष्ण और हरि गोविंद द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक “नरेन्द्र मोदीः द ग्लोबल लीडर” में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी पवित्र लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जिस मनुष्य का उद्देश्य पवित्र होता है, लोग स्वतः उससे जुड़ते हैं और उसकी सफलता निश्चित करते हैं। जब लक्ष्य पवित्र होता है तो सफलता मिलनी तय होती है। प्रधानमंत्री मोदी देशवासियों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं। उनका लक्ष्य तय है और वे भक्तिभाव से काम कर रहे हैं। वे किसी भी काम को असंभव नहीं मानते हैं। इसीलिए उनकी सरकार बड़े फैसले ले रही है और उन्हें पूरा करने के लिए लगातार काम कर रही है। इससे देश के जन-मानस में व्याप्त जड़ता टूटी है और लोगों में उम्मीदों का संचार हुआ है। हिंदुस्तान महाशक्ति बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
संघ प्रमुख का कहना है कि मोदी ने जब से देश की शासन सत्ता संभाली है तब से वह लगातार नव राष्ट्र निर्माण के लिए सुधारों को लागू करने का काम कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि देश में बहुत बदलाव आया है। भ्रष्टाचार, बिचौलिया और दलाली पर रोक लगी है। मोदी जी के प्रयासों से समाज के आखिरी व्यक्ति तक सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियों का लाभ पहुंच रहा है। पहले सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक नहीं पहुंच पाता था उन्होंने पुस्तक में बहुत साफगोई के साथ कहा है कि लोगों को अपनी इस मानसिकता में बदलाव लाना होगा कि विकास सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है। हम सभी को समझना चाहिए कि विकास सिर्फ सरकार की नहीं समाज की भी जिम्मेदारी है। हमें यूरोप से सीखने की जरूरत है। ध्येय की प्राप्ति के लिए वहां पर विरोधी और विपरीत सोच वाले भी मिलकर काम करते हैं।
विदेशी मोर्चे पर मोदी सरकार को पूरी तरह सफल बताते हुए उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार की शानदार और सफल विदेश नीति के चलते अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का मान-सम्मान बढ़ा है और विश्व समुदाय भारत को महाशक्ति के रूप में लेने लगा है। आज भारत विश्व की राजनीति का केंद्र बन गया है। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत अब किसी का पिछलग्गू नहीं रहा। आज विश्व का हर छोटा-बड़ा राष्ट्र भारत को गंभीरता से लेता है, कोई अब भारत की अनदेखी नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। हर किसी को समझना होगा कि सीमा विवाद एक-दो दौर की बैठकों में नहीं सुलझाए जा सकते हैं। पड़ोसी राष्ट्रों के साथ सीमा विवादों को सुलझाने में समय लगेगा।
संघ प्रमुख ने जम्मू-कश्मीर मसले की चर्चा करते हुए पुस्तक में कहा है कि कश्मीर को लेकर हमेशा से हमारी नीति स्पष्ट रही है। जम्मू-कश्मीर ही नहीं समूचा कश्मीर भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान ने कश्मीर के बहुत बड़े भू-भाग पर अनधिकृत कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान को चाहिए कि वह कश्मीर से अपना अनाधिकृत कब्जा हटाकर उसे भारत को सौंप दे। जम्मू-कश्मीर में स्थायित्व, विकास, खुशहाली और आतंकवाद से मुक्ति के लिए राज्य से धारा 370 खत्म होनी चाहिए। वर्षों पहले आतंकवाद से पीड़ित होकर जो कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़कर चले गए थे, उनकी घाटी में वापसी होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित अपने घरों को सम्मानपूर्वक वापस लौटें। जम्मू-कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। हर कोई जानता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है और विश्व में आतंकवाद फैला रहा है। पाकिस्तान के साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उसकी नीयत में खोट है। पाकिस्तान से अब कोई बातचीत तब होनी चाहिए जब पहले वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे। पाकिस्तान को आतंकवाद का साथ छोड़ना होगा। बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।
पुस्तक के लेखक राधेकृष्ण ने बताया कि इस पुस्तक को तैयार करने में उन्हें दो साल से ज्यादा का समय लगा। इस सिलसिले में उन्होंने अहमदाबाद, गांधीनगर और प्रधानमंत्री के गृहनगर वडनगर में कई माह तक प्रवास किया। इसके अलावा उन्होंने पुस्तक के लिए सामग्री जुटाने और लोगों का साक्षात्कार करने के लिए दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद भोपाल, रायपुर, पटना, रांची, श्रीनगर, कोलकाता, देहरादून, जयपुर , शिमला की यात्राएं कीं। पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व, कृतित्व और उनके अब तक के राजनैतिक सफर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ ही उनके बड़े सोमभाई मोदी, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव , विदेश मंत्री सुषमा स्वराज , फेसबुक के फाउंडर सीईओ मार्क जुकरबर्ग, योग गुरु स्वामी रामदेव, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विस्तार से अपनी राय रखी है। इस पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कई सवालों के एक्सक्लूसिव जवाब दिए हैं।
तकरीबन 360 पेज की इस पुस्तक में 35 अध्याय हैं। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बचपन, शादी और संन्यास, हिमालय प्रवास, आरएसएस से जुड़ाव, आपातकाल के दिनों में भूमिगत रहकर जेल में बंद संघ के लोगों के परिवारों की देखभाल करना, संघ से भाजपा में प्रवेश, गुजरात के मुख्यमंत्री पद को संभालने के साथ ही भूकंप से तबाह हो चुके राज्य का पुनर्निर्माण करके देश का नंबर वन राज्य बनाने, कट्टरवादी हिंदू नेता से विकास पुरुष बनने, भारत का प्रधानमंत्री बनने और उसके बाद उनके ग्लोबल लीडर बनने तक की पूरी कहानी शामिल है। पुस्तक में पीएम मोदी के बड़े भाई सोमभाई मोदी ने कहा है कि सन् 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान नरेन्द्र मोदी फौज में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन उनकी कम उम्र इसमें आड़े आ गई और वे फौज में नहीं भर्ती हो सके। लेकिन इससे उनकी देश भक्ति के जज्बे में कोई कमी नहीं आई। अपने महान वतन के लिए लड़ने वाले सैनिकों की सेवा करने का उन्हें जब भी मौका मिला, उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। पुस्तक में सरदार सरोवर बांध के निर्माण पर एक अध्याय है। जिसमें गुजरात के सीएम विजय रूपानी ने कहा है कि अगर मोदी जी पीएम नहीं बनते तो सरदार सरोवर बांध का निर्माण कभी पूरा नहीं होता।
राधेकृष्ण ने बताया कि सबसे पहले यह पुस्तक हिन्दी में और उसके बाद अंग्रेजी में प्रकाशित होगी। इस पुस्तक को गुजराती और मराठी में भी प्रकाशित किया जाएगा।