scriptअपने ही एजेंडे में उलझी बीजेपी, एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई | Sabka Sath sabka vikas is problem for bhartiya janta party | Patrika News

अपने ही एजेंडे में उलझी बीजेपी, एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई

locationलखनऊPublished: Sep 08, 2018 12:47:27 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सवर्णों की नाराजगी का मुद्दा छाये रहने की उम्मीद है, लेकिन पार्टी कोशिश बड़ी मुश्किल से शांत हुए एससी-एसटी वर्ग को फिर से नाराज न करने की भी होगी

bhartiya janta party

अपने ही एजेंडे में उलझी बीजेपी, एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई


हरिओम द्विवेदी
लखनऊ. ‘सबका साथ सबका विकास’ का स्लोगन तो ठीक है, पर सभी को खुश कर पाना काफी मुश्किल है। एक वर्ग को खुश करने के चक्कर में कभी-कभार दूसरे वर्ग को नाराज करना पड़ता है। अनुसूचित जाति/जनजाति कानून में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के सरकार के निर्णय के बाद इस बात को आज भारतीय जनता पार्टी से बेहतर शायद ही कोई महसूस कर रहा हो। शनिवार को दिल्ली में शुरू हूई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सवर्णों की नाराजगी का मुद्दा छाये रहने की उम्मीद है, लेकिन कोई भी रणनीति बनाने से पहले बीजेपी यह ध्यान जरूर रखेगी कि बड़ी मुश्किल से शांत हुआ एससी-एसटी वर्ग कहीं फिर से नाराज न हो जाये।
एससी-एसटी एक्ट को लेकर बीजेपी का कोर वोटर कहे जाने वाले सवर्ण पार्टी से नाराज हैं। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। बीते छह दिसंबर को ब्राह्मण और क्षत्रिय संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था, जिसे अब और धार देने की तैयारी है। वहीं, दलित संगठन इस कानून को जैसे का तैसा ही रखना चाहते हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसा मामला है।
यह भी पढ़ें

एससी-एसटी एक्ट पर सवर्णों के रुख ने मोदी-योगी की उड़ाई नींद, बीजेपी में भी बगावत

बीजेपी के सामने समस्या है कि वह सवर्णों को खुश करे या दलितों को। एक वर्ग को खुश किया तो दूसरा नाराज हो जाएगा। एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण जहां बीजेपी से नाराज हैं, वहीं अन्य दलों पर भी उनका गुस्सा है। बीजेपी के लिये यही एक उम्मीद की किरण है। क्योंकि नाराजगी के बावजूद सवर्ण किसी दल के करीब जाते नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, सवर्णों की नाराजगी बीजेपी के लिए तलवार की धार पर चलने से कम नहीं है। क्योंकि सवर्ण समुदाय लंबे समय से बीजेपी का कोर वोटर रहा है, जो मौजूदा हालातों में खिसकता दिख रहा है। मायावती व संभावित गठबंधन के खिलाफ बीजेपी को दलितों के वोट कितने मिलेंगे, भविष्य के गर्त में है।
सवर्ण आंदोलन को और धार देने की तैयारी
विभिन्न सवर्ण संगठन एससी-एसटी एक्ट के विरोध के आंदोलन को और धार देने की तैयारी में हैं। इसके लिये ओबीसी संगठनों को भी जोड़ने की तैयारी है। केंद्र सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर सवर्णों ने मुहिम छेड़ रखी है। कई संगठनों ने मोबाइल पर मिस्ड काल से जुड़ने का अभियान भी छेड़ रखा है। 28 सितंबर को लखनऊ में सवर्ण संगठनों का सम्मेलन बुलाया गया है, जिसमें आगे की कार्ययोजना तय होगी। इसकी तैयारियां तेज हो गई हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो