एससी-एसटी एक्ट को लेकर बीजेपी का कोर वोटर कहे जाने वाले सवर्ण पार्टी से नाराज हैं। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। बीते छह दिसंबर को ब्राह्मण और क्षत्रिय संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था, जिसे अब और धार देने की तैयारी है। वहीं, दलित संगठन इस कानून को जैसे का तैसा ही रखना चाहते हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई जैसा मामला है।
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बीजेपी के सामने समस्या है कि वह सवर्णों को खुश करे या दलितों को। एक वर्ग को खुश किया तो दूसरा नाराज हो जाएगा। एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण जहां बीजेपी से नाराज हैं, वहीं अन्य दलों पर भी उनका गुस्सा है। बीजेपी के लिये यही एक उम्मीद की किरण है। क्योंकि नाराजगी के बावजूद सवर्ण किसी दल के करीब जाते नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, सवर्णों की नाराजगी बीजेपी के लिए तलवार की धार पर चलने से कम नहीं है। क्योंकि सवर्ण समुदाय लंबे समय से बीजेपी का कोर वोटर रहा है, जो मौजूदा हालातों में खिसकता दिख रहा है। मायावती व संभावित गठबंधन के खिलाफ बीजेपी को दलितों के वोट कितने मिलेंगे, भविष्य के गर्त में है। सवर्ण आंदोलन को और धार देने की तैयारी
विभिन्न सवर्ण संगठन एससी-एसटी एक्ट के विरोध के आंदोलन को और धार देने की तैयारी में हैं। इसके लिये ओबीसी संगठनों को भी जोड़ने की तैयारी है। केंद्र सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर सवर्णों ने मुहिम छेड़ रखी है। कई संगठनों ने मोबाइल पर मिस्ड काल से जुड़ने का अभियान भी छेड़ रखा है। 28 सितंबर को लखनऊ में सवर्ण संगठनों का सम्मेलन बुलाया गया है, जिसमें आगे की कार्ययोजना तय होगी। इसकी तैयारियां तेज हो गई हैं।
विभिन्न सवर्ण संगठन एससी-एसटी एक्ट के विरोध के आंदोलन को और धार देने की तैयारी में हैं। इसके लिये ओबीसी संगठनों को भी जोड़ने की तैयारी है। केंद्र सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर सवर्णों ने मुहिम छेड़ रखी है। कई संगठनों ने मोबाइल पर मिस्ड काल से जुड़ने का अभियान भी छेड़ रखा है। 28 सितंबर को लखनऊ में सवर्ण संगठनों का सम्मेलन बुलाया गया है, जिसमें आगे की कार्ययोजना तय होगी। इसकी तैयारियां तेज हो गई हैं।