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कहानी उस गांव की जिसकी माटी ने दिए दो सीएम

locationलखनऊPublished: Nov 24, 2021 11:28:20 am

Submitted by:

Prashant Mishra

कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस गांव की आभा आज देखते ही बनती है। अब यहां विकास खंड और तहसील कार्यालय तो हैं ही, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, परिवहन के साधन, स्टेडियम और हवाई पट्टी भी उपलब्ध है यहां रेल की सुविधा भी उपलब्ध है।

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लखनऊ. कभी डकैतों के लिए कुख्यात और बीहड़ इलाके में स्थित उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का सैफई गांव इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। कभी सुविधाओं से वंचित इस गांव की सूरत आज बदल चुकी है। अब यह गांव विकास खंड और कस्बे की यात्रा करते हुए तहसील का दर्जा पा चुका है। इसी गांव में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने जन्म लिया था। यह गांव (अब कस्बा) मैनपुरी और इटावा के बीच स्थित है। इस गांव की मांटी ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के रूप में दो मुख्यमंत्री तो दिए ही, यहीं जन्मे और मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव कैबिनेट मंत्री भी रहे। दूसरे भाई राम गोपाल यादव राज्य सभा सांसद हैं, तो परिवार की बहू डिंपल यादव सांसद रह चुकी हैं। आप कह सकते हैं कि इस गांव की मांटी ने प्रदेश की राजनीति को बहुत कुछ दिया है।
खूब हुआ विकास

कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित इस गांव की आभा आज देखते ही बनती है। अब यहां विकास खंड और तहसील कार्यालय तो हैं ही, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, परिवहन के साधन, स्टेडियम और हवाई पट्टी भी उपलब्ध है यहां रेल की सुविधा भी उपलब्ध है।
यहीं बीता मुलायम का बचपना

ये वही गांव है जहां पर मुलायम सिंह यादव का बचपन बीता यहीं पर मुलायम सिंह यादव ने कुश्ती के दांव सीखे। कुश्ती में पारंगत होने के बाद राजनीति के समीकरण की समझ भी मुलायम सिंह यादव को इसी गांव में मिली। इसी गांव से मिली क्षमताओं का नतीजा है कि मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक संघर्ष का परिणाम रहा कि मुलायम सिंह पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। लेकिन अभी मुलायम सिंह यादव को और लंबा सफर तय करना था 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया। इसी साल अयोध्या में हुए विवादित ढांचा विध्वंस मामले में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के बड़े नेता उभर के सामने आए।
प्रधानमंत्री बनने से चूके मुलायम

मुलायम सिंह यादव का राजनीति में कितना बड़ा कद था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1996 में मुलायम सिंह यादव देश के प्रधानमंत्री बनने वाले थे। लेकिन पर ऐन वक्त पर एचडी देवगौड़ा को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया, कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के नाम पर उस लालू प्रसाद यादव व शरद यादव ने सहमति नहीं दी थी।
अखिलेश भी बने मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव का दौर खत्म नहीं हुआ था कि सफाई की माटी ने एक और मुख्यमंत्री तैयार कर दिया। 2012 में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के नाम पर चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत से सरकार बनी। सैफई के एक और लाल को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने का मौका मिला। लेकिन यह सफर रात भर का फैसला नहीं था। इससे पहले अखिलेश ने लंबा राजनीतिक अनुभव जुटाया। 26 वर्ष की उम्र में अखिलेश यादव ने 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बने। 2004 में अखिलेश यादव ने फिर से चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी की ओर से लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। 2009 में एक बार फिर अखिलेश यादव को जीत हासिल हुई। इसके बाद वर्ष 2012 में अखिलेश यादव ने 15 मार्च को उत्तर प्रदेश के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
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