पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार को ही हैदराबाद में अपनी बोर्ड मीटिंग में नदवी के फार्मूले को सिरे से खारिज कर दिया था। लॉ बोर्ड के सदस्य कासिम इलयास ने मौलाना नदवी को निकाले जाने की जानकारी देते हुए रविवार को कहा कि समिति ने ऐलान किया कि समिति ने ऐलान किया कि बोर्ड अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा कि मस्जिद को न तो गिफ्ट किया जा सकता है, न बेचा जा सकता है और न शिफ्ट किया जा सकता है। क्योंकि सलमान नदवी इस एकमत रुख के विरोध में गए, इसलिए उनको बोर्ड से निकाला जाता है।
बोर्ड की कार्रवाई से पहले मौलाना नदवी ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि वह अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए सुलह की कोशिशों में लगे रहेंगे। उन्होंने कहा कि श्री श्री ने 20 फरवरी को अयोध्या में दोनों पक्षों की मीटिंग का अनुरोध किया है। बता दें कि मौलाना नदवी ने विवादित स्थल पर मंदिर और किसी और जगह मस्जिद बनाने को लेकर 3 सुझाव दिए थे, जिन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और बाबरी मस्जिद से जुड़े दूसरे पक्षकारों ने खारिज कर दिया।
कुछ लोगों में तानाशाही चल रही है
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हैदराबाद में शुक्रवार को तीन दिन दिवसीय बोर्ड मीटिंग शुरू हुई। बैठक में मौलाना नदवी की आलोचना की गई। नदवी भी हैदराबाद गए थे और उन्होंने आरोप लगाया कि बोर्ड बैठक में उनका अपमान किया गया। उन्होंने कमाल फारूकी और एस.क्यू.आर. इलयास पर अपने अपमान का आरोप लगाया था। मौलाना नदवी ने अपने फार्मूले के बचाव में कहा कि वह शांति और सांप्रदायिक सौहाद्र्र सुनिश्चित करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लॉ बोर्ड में कुछ लोगों की तानाशाही चल रही है।
बातचीत में तीन सुझाव सामने आए थे
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोई में १४ मार्च को अगली सुनवाई होनी है। कोर्ट के बाहर आपसी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश के तहत बेंगलुरु में श्रीश्री रविशंकर और मौलाना नदवी समेत हिंदू-मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों के बीच बातचीत में तीन सुझाव सामने आए थे।
मस्जिद कहीं और बनेगी
पहला सुझाव था कि अभी जहां रामलला की प्रतिमा है, वहीं पर मंदिर का निर्माण हो। मुस्मिल विवादित स्थल पर अपना दावा छोड़ दें, लेकिन किसी अन्य धार्मिक स्थल पर हिंदू अपना दावा नहीं ठोकेंगे। मस्जिद कहीं और बनेगी।
सुलह फार्मूले में अयोध्या-गोरखपुर हाइवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी का निर्माण हो और उसी परिसर में मस्जिद बने। दूसरा सुझाव था कि निर्मोही अखाड़ा की जमीन मुस्लिमों को दे दी जाए। एक सुझाव यह भी दिया गया कि जिसे विवादित जगह पर भगवान राम की मूर्ति है, मंदिर बने और मस्जिद को युसूफ आरा मशीन के पास बनाया जाए।