बूथों पर सपा होगी मजबूत पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुख्य ताकत बूथ स्तर पर गठित इकाइयां ही रही हैं। इसे देखते हुए समाजवादी पार्टी ने राज्य और राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले ही बूथों पर
ध्यान देना शुरू कर दिया था। पांच सितंबर को एक साथ सभी जिलों में हुए सम्मेलनों में संगठन में काम करने के इच्छुक लोगों से एक फार्मेट पर आवेदन मांगे गए थे। उनसे कहा गया था कि संगठन के कार्यक्रमों में सक्रिय लोगों को वरीयता दी जाएगी। इसके लिए पर्यवेक्षकों से अलग से रिपोर्ट देने को कहा गया था। रिपोर्ट के आधार पर ही बूथों पर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समीकरण खड़े किए जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी जिला और महानगर पदाधिकारियों को दी जाएगी।
संगठन में होगा बदलाव निकाय चुनावों में सपा को भाजपा से हमेशा ही तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता रहा है, इसलिए सबसे पहले महानगरों पर ही पार्टी ज्यादा फोकस करेगी। 2019 के लोकसभा चुनावों को केंद्र में रखकर सांगठनिक स्तर पर फेरबदल संभावित है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी जल्द ही प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन करेगी। इस बार इसमें पदाधिकारियों की संख्या अधिक रहेगी, इसलिए संतुलन बैठाने में आसानी रहेगी। इसमें युवा और सक्रिय कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी। समाजवादी चिकित्सा प्रकोष्ठ के गठन की दिशा में भी काम किया जा रहा है। यह प्रकोष्ठ पहली बार वजूद में आएगा। नरेश उत्तम जल्द ही जिलों के दौरे पर भी निकलेंगे।
एक्शन में अखिलेश समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय सम्मेलन में संविधान में संशोधन करके भी अधिक से अधिक लोगों को पार्टी में महत्व देने के रास्ते खोले हैं। पदाधिकारियों की संख्या भी बढ़ाई गई है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिलेश यादव खुद भी जल्द ही जनता के बीच जाने और रैलियां करने की घोषणा कर चुके हैं, इसलिए भी संगठन की मजबूती पर अधिक जोर दिया जा रहा है, ताकि इसका लाभ निकाय चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी हासिल किया जा सके।