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26 जुलाई से शुरू होगी सपा की साइकिल यात्रा, मिशन 2019 का होगा आगाज

locationलखनऊPublished: Jul 16, 2018 09:33:51 am

समाजवादी पार्टी ने 2019 चुनाव का आगाज कर दिया है।

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26 जुलाई से शुरू होगी सपा की साइकिल यात्रा, मिशन 2019 का होगा आगाज

लखनऊ. समाजवादी पार्टी ने 2019 चुनाव का आगाज कर दिया है। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किये जाने पर खासे आरोप लगाने के बाद भी सपा शांत नहीं बैठी है। वह इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। इसके लिए समाजवादी पार्टी 26 जुलाई से साईकिल यात्रा शुरू करने जा रही है। यह यात्रा 26 जुलाई को बलिया से लोकतंत्र बचाओ समग्र क्रांति साईकिल यात्रा के रूप में निकाली जाएगी। पार्टी ने इस आयोजन के का जिम्मा अपने युवा संगठनों को दिया है।

ये सम्भालेंगे जिम्मेदारी

इस संबंध में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने समाजवादी युवजन सभा, छात्र सभा, मुलायम सिंह यूथ बिग्रेड तथा लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्षों को पत्र लिखा है। इस यात्रा की कमान समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश महासचिव अरविंद गिरी को दी गई है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि बलिया में लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जन्म स्थली से साइकिल यात्रा प्रारम्भ होकर गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, आंबेडकर नगर, फैज़ाबाद, बाराबंकी गुजरते हुये 5 अगस्त को लखनऊ पहुंचेगी। यहां उसकी अगुआई समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश महामंत्री अरविन्द गिरी करेंगे। साईकिल यात्रियों का जत्था कस्बों व गॉवों में लोगों को समाजवादी नीतियों व कार्यक्रमों की जानकारी देगा। यह यात्रा बलिया से शुरू होगा और पांच अगस्त को जनेश्वर मिश्र की जयंती पर लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में खत्म होगी। यात्रा के दौरान इन पिछली अखिलेश सरकार की उपलब्धियां बताई जाएंगी।

अखिलेश के सामने अहम चुनौती

गठबंधन के लिये अखिलेश अपनी चिर-प्रतिद्वंदी मायावती के जूनियर पार्टनर बनने को भी तैयार हैं, लेकिन बसपा सुप्रीमो पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं कि सम्मानजक सीटें मिलने पर ही गठबंधन करेंगी। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव जल्द ही गठबंधन की सीटों को बंटवारा करेंगे। राजनीतिक जानाकारों का मानना है कि अखिलेश यादव के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती गठबंधन की सीटों का बंटवारा और सपाइयों को एकजुट रखने की है। क्योंकि मायावती 40 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। गठबंधन में कांग्रेस और रालोद व अन्य को मिलाकर 10 सीटें भी देनी पड़ीं तो समाजवादी पार्टी के हिस्से में 30 सीटें ही आएंगी। इसका मतलब साफ है कि अखिलेश यादव को बड़ी संख्या में सपाइयों के टिकट काटने होंगे। ऐसे में नाराज सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में रोके रखना और बसपा व दूसरे सहयोगी दलों के प्रत्याशियों को जिताने के लिये उन्हें तैयार करना अखिलेश के सामने अहम चुनौती होगी।

उपचुनाव से जुदा होंगे हालात
गोरखपुर-फूलपुर के बाद कैराना व नूरपुर उपचुनाव में जीत के बाद से समाजवादी पार्टी भले ही उत्साहित हो, लेकिन इस तथ्य को अखिलेश यादव भी जानते हैं कि लोकसभा चुनावों के हालात उपचुनावों से बिल्कुल जुदा होंगे। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी सपा-बसपा गठबंधन को फेल करने के लिये पूरी ताकत झोंके हुई है। अमित शाह ने यूपी में फिर मोदी लहर लाने के लिये सॉलिड प्लान तैयार कर लिया है। प्लान के मुताबिक, जुलाई में ही प्रधानमंत्री ताबड़तोड़ यूपी दौरे पर रहेंगे, वहीं लोकसभा चुनाव तक हर महीने सूबे में उनकी रैली होगी।

2012 में भी चलाई थी अखिलेश ने साइकिल

2012 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने यूपी की सड़कों पर खूब साइकिल चलाई थी। सैकड़ों सपाइयों के साथ उनकी साइकिल जनता के बीच पहुंची थी। उस चुनाव में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत मिली और मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी ताजपोशी कर दी थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अब एक बार फिर अखिलेश यादव साइकिल पर सवार होकर जनता के बीच जाएंगे।

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