पूर्वांचल में डाक्टर अय्यूब की पीस पार्टी मुसलमानों समेत तमाम पिछड़ों पर खासी पकड़ रखती है। हाल में पीस पार्टी के खिलाफ की गई कार्रवाई से मुसलमान खासे नाराज हैं। डाक्टर अय्यूब एक चिकित्सक होने के नाते पूर्वांचल में अच्छी पकड़ रखते हैं। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में निषाद, बिंद वोटर की संख्या निर्णायक स्थिति में है। बिंद समाज में गोरख प्रसाद निषाद, दरोगा प्रसाद निषाद जैसे ब?े नाम हैं। गोरखपुर मंडल के करीब 28 विधानसभा क्षेत्रों में निषाद बिरादरी बड़ी तादाद में है। इंटरनेट पर मौजूद आंकड़ों की मानें तो निषादों की सबसे ज्यादा संख्या गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में है। गोरखपुर में निषाद की संख्या करीब तीन से साढ़े तीन लाख बताई जाती है। ऐसे ही देवरिया में करीब एक लाख, बांसगांव में करीब दो लाख, महराजगंज में करीब ढाई लाख और पडऱौना में करीब तीन लाख निषाद मतदाता हैं। इस तरह निषाद का प्रभाव भी इस क्षेत्र में गजब का है।
सियासी प्रेक्षकों का कहना है कि निषाद पार्टी से गठबंधन कर अखिलेश यादव ने बड़ा दांव चल दिया है। वे इसकी तुलना सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के उस फैसले से करते हैं जब बिंद निषाद वोटों को हासिल करने के लिए उन्होंने डकैत रही फूलन देवी को चुनाव में उतारा था और बड़े मार्जिन से विजय भी हासिल की थी। गोरखपुर में निषाद समाज की तादाद काफी ज्यादा, तकरीबन 3.5 लाख है। 2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से चुनाव तो जीते थे, तब भी इस सीट से समाजवादी पार्टी की महिला प्रत्याशी राजमती निषाद दूसरे नंबर पर रही थीं। तीसरे नंबर पर बसपा के राम बहुल निषाद रहे थे। यहां के हालात क्रिस्टल क्लीन हैं कि सपा-हो या बसपा दोनों को निषादों पर विश्वास है।
लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनावों में जीत के लिये सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी गोरखपुर से अपना प्रत्याशी घोषित कर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। अखिलेश यादव ने निषाद पार्टी से गठबंधन करते हुए पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण कुमार निषाद को पार्टी का टिकट दे दिया। अब बारी भाजपा की है। सब की निगाहें भाजपा पर टिकी हैं कि वे यहां से किसे कंडीडेट बना रही है। यूं तो इस सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सीट से इस्तीफा दिया था, अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। फूलपुर की सीट भी भाजपा के नेता डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के पास थी। उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी।
लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनावों में जीत के लिये सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी गोरखपुर से अपना प्रत्याशी घोषित कर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। अखिलेश यादव ने निषाद पार्टी से गठबंधन करते हुए पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण कुमार निषाद को पार्टी का टिकट दे दिया। अब बारी भाजपा की है। सब की निगाहें भाजपा पर टिकी हैं कि वे यहां से किसे कंडीडेट बना रही है। यूं तो इस सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर सीट से इस्तीफा दिया था, अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। फूलपुर की सीट भी भाजपा के नेता डिप्टी सीएम केशव प्रसाद के पास थी। उनके इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी।