लखनऊ

शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे में शामिल हुआ यह पूर्व सांसद, चाचा के अपमान के चलते छोड़ी थी सपा

2017 में पार्टी में शिवपाल के अपमान के बाद छोड़ी की सपा, सेक्युलर मोर्चे मिलेगी मजबूती.

लखनऊSep 06, 2018 / 10:38 pm

Abhishek Gupta

Shivpal

लखनऊ. समाजवादी पार्टी में दो फाड़ होने के बाद अब पार्टी का कार्यकर्ता व वरिष्ठ नेता चयन करने लगे हैं कि आखिर उन्हें अखिलेश यादव के खेमें में जाना है या फिर शिवपाल यादव के। देखते ही देखते इसकी तस्वीर भी सामने आने लगी है। हाल ही में सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे डुमरियागंज के पूर्व विधायक मलिक कमाल यूसुफ बसपा छोड़ शिवपाल खेमें में आ गए। वहीं आज एक अन्य बड़े नेता ने शिवपाल का दामन थाम लिया है।
 

आज यह पूर्व सासंद हुआ सेक्युलर मोर्च में शामिल-

वहीं अब इस कड़ी में शिवपाल सिंह यादव ने आज इटावा सदर से विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य को भी सेक्युलर मोर्चे में शामिल कराया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का साथ छोड़ कर एक और पूर्व सांसद ने साथ छोड़ दिये। शिवपाल से मिल कर शाक्य ने उनके साथ चलने का निर्णय लिया है। उन्होंने शिवपाल को यह भरोसा दिलाया है कि वे अविलंब मोर्चा के उद्देश्य को लेकर जनता के बीच जाएंगे।
2017 में पार्टी में शिवपाल के अपमान के बाद छोड़ी की सपा-

आपको बता दें कि रघुराज सिंह शाक्य सपा से दो बार सांसद और एक बार विधायक रह चुके हैं। 2017 में विधानसभा चुनाव में सपा में छिड़ी जंग व शिवपाल को हाशिए पर ढकेले जाने के चलते उन्होंने समर्थकों संग सपा छोड़ दी थी। रघुराज उस दौरान शिवपाल सिंह यादव के साथ उनके निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार में जुट गए थे। लेकिन अब जब शिवपाल ने मोर्चे का गठन कर लिया है, तो शाक्य उनके साथ दोबार जुड़ गए हैं।
सेक्युलर मोर्चे मिलेगी मजबूती-

सेकुलर मोर्चा में शामिल होने से इटावा में मोर्चा और मजबूत हो गया है। शाक्य बिरादरी में रघुराज शाक्य की जबर्दस्त पकड़ है। इनकी गिनती इटावा की शाक्य बीरदारी के कद्दावर नेताओं में भी है।
मलिक कमाल यूसुफ भी थे उपेक्षित-

पार्टी में उपेक्षित होने के चलते शिवपाल द्वारा लिए गए अलग राह पर चलने के फैसले के बाद कई ऐसे उपेक्षित नेता हैं जो शिवपाल का साथ देने लगे हैं। मलिक कमाल यूसुफ भी उनमें से एक हैं, जिन्होंने हाल ही में बसपा छोड़ शिवपाल का हाथ थाम लिया है। यूसुफ सपा में रहते हुए शिवपाल के काफी करीब थे। 2017 चुनाव में सपा में विवाद होने के कारण उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया था, लेकिन अब वे दोबारा शिवपाल के साथ मिल नवगठित समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को मोर्चे को मजबूत करने में लग गए हैं।
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