पत्रिका एक्सक्लूसिव
महेंद्र प्रताप सिंह
लखनऊ. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को आसन्न विधानसभा चुनावों में एक बार फिर गठबंधन की बात दोहराई। उन्होंने कहा, गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी 300 से ज्यादा सीटें जीत सकती है। लेकिन,गठबंधन पर अंतिम फैसला सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को लेना है। दरअसल, अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की बात यंू ही बार-बार नहीं दोहरा रहे हैं। समाजवादी पार्टी कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल के साथ चुनावी गठजोड़ का मन बना चुकी है। पश्चिम बंगाल की तर्ज पर यूपी में भी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की घोषणा अंतिम समय में की जाएगी। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस को 403 में 60 सीटें देने के लिए सहमत है। जबकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तकरीबन 25 सीटों पर रालोद के साथ बात बन चुकी है।
कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की पहल बहुत पहले ही कर चुके हैं। उनकी उत्त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ इस मुद्दे पर दो दौर की बात हो चुकी है। वे दिल्ली में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से भी मिल चुके हैं।
कांग्रेस ने मांगी 125 सीटें
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उत्तर प्रदेश में 125 सीटों की मांग की थी। लेकिन, सपा नेतृत्व इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है। पेंच यही फंसा हुआ है। वजह, सपा के वरिष्ठ नेता कांग्रेस को केवल 60 सीटें देने के लिए ही राजी हैं। ये वे सीटें हैं जिन पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी या फिर कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी।
शिवपाल का भी रखा जाएगा मान
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव विधानसभा चुनावों में रालोद सहित कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन की पैरोकारी करते रहे हैं। इस सिलसिले में वह दिल्ली में कुछ नेताओं से मिल भी चुके थे। लेकिन सूत्रों की मानें तो शिवपाल की बात सिर्फ रालोद से बनती दिख रही है। शिवपाल की पहल का मान रखने के लिए सपा रालोद को 20 से से 25 सीटें देने के लिए सैद्धांतिक रूप से तैयार हो गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कमोबेश इतनी ही सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल का वजूद भी है। माना जा रहा है रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह इसके लिए राजी हो गए हैं। इन 25 सीटों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समर्थन रालोद को मिलेगा।
बसपा और भाजपा के मुकाबले वाली सीट
समाजवादी पार्टी बड़ी चतुराई के साथ उन सीटों को कांग्रेस के लिए छोडऩे की बात कर रही है जिन पर साफ तौर पर बसपा और भाजपा के प्रत्याशी मुख्य मुकाबले में हैं। कांग्रेस की हिचक इसी बात को लेकर है। कांग्रेस की मांग है उसे शहरी क्षेत्रों की उन सीटों को दिया जाए जिन पर ब्राह्मण और मुस्लिम मतों की बहुलता है। कांग्रेस ने इस तरह की कुल 70 सीटें चिन्हित की हैं। इन सीटों की सूची सपा को सौंपी जा चुकी है। कांग्रेस सीटों की संख्या को लेकर कोई उलझन में नहीं है बल्कि उसकी मुख्य चिंता यह है कि उसे कौन-कौन सी सीटें दी जा रही हैं। बावजूद इसके कांग्रेस को उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल में वामदलों की ही तरह यूपी में भी अंतिम समय में सपा के साथ समझौता हो जाएगा।
कुछ भी बोलने को तैयार नहीं जिम्मेदार
इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी ने अपनी जरूरतों के हिसाब से सपा को 70 सीटों की सूची सौंपी है अब फैसला सपा को लेना है। उधर, सपा नेताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव को भरोसा है कि सपा अकेले यूपी में बहुमत के लायक सीटें जीत लेगी। लेकिन मुख्यमंत्री यदि गठबंधन की बात कर रहे हैं तो उनकी बातों में कोई दम होगा।