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रविदास बने दलितों के ब्रांड, इन्हें पाने की चाहत हर पार्टी को

locationलखनऊPublished: Feb 21, 2019 12:57:34 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

इस मुद्दे को लेकर कभी आमने-सामने थे सपा-बसपा, पीएम मोदी ने कर लिया हाईजैक तो मिलकर कर रहे विरोध

BSP Mayawati

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महेंद्र प्रताप सिंह
पत्रिका पोलेटिकल स्टोरी
लखनऊ. 22 साल पहले मायावती ने एक सपना देखा था। मायावती को यह सपना दिखाया था उनके राजनीतिक गुरु कांशीराम ने। लेकिन, तब उनके सपने को समाजवादी पार्टी ने पूरा नहीं होने दिया था। सोमवार को माया के सपनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रंग भर दिया। एक दिन बाद। मंगलवार को बसपा और सपा एक सुर से मोदी को कोस रहे हैं। वे कह रहे हैं मोदी दलित महापुरुषों के जरिए दलितों पर डोरे डालने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी यह कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी। संत रविदास को भाजपा हड़पना चाहती है। बसपा-सपा भाजपा की इस चाल को गांव-गांव में उजागर करेगी। इसके लिए दोनों दलों के नेताओं जन जागरण अभियान चलाएंगे।
सपा ने डाला था अड़ंगा
दो दशक पीछे चलते हैं। 1997 में मायावती उप्र की मुख्यमंत्री बनी थीं। तब कांशीराम ने उन्हें एक ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करने का टास्क सौंपा था। यह टॉस्क था वाराणसी के सीरगोवर्धन में दलितों के सबसे बड़े संत रविदास की जन्मस्थली के विकास का। मायावती ने सीरगोवर्धन में एक भव्य स्मारक और पार्क निर्माण की योजना बनाई। लेकिन इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने के पहले ही समाजवादियों ने तीखा विरोध करना शुरू कर दिया। और यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।
मायावती के फैसले को बदल दिया था अखिलेश ने
संत रविदास को लेकर सपा-बसपा में अदावत सीरगोवर्धन तक ही सीमित नहीं थी। 30 जून 1994 को वाराणसी से अलग होकर बने भदोही जिले का नाम मायावती सरकार में संत रविदास नगर रखा गया था। लेकिन, सपा की सरकार आने के बाद 6 दिसम्बर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुन: इसका नाम भदोही नाम रख दिया।
Narendra Modi
दलित महापुरुषों पर सियासत
बसपा की सियासत में दलित महापुरुषों और संतों का अहम रोल था। महात्मा ज्योतिबा फुले, संत गाडगे, नारायण गुरु आदि संतों और गुरुओं को सम्मान देने के लिए मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में भव्य स्थल, स्मारक और पार्क बनवाए गए थे। यहां उनकी प्रतिमाएं आदि लगवाई गयी थीं। मायावती इन्हें उत्तर प्रदेश की नई शान, पहचान और सबसे व्यस्त पर्यटन स्थल बताती हैं। अब मायावती के इन्हीं महापुरुषों की चाहत हर पार्टी को है। इसीलिए हर पार्टी मायावती की इस दलित आइकॉन पॉलिटिक्स को हाईजैक करने की कोशिश में है।
पीएम ने की दलितों को साधने की कोशिश
वाराणसी के सीरगोवर्धन में दलितों के सबसे बड़े संत रविदास की जन्मस्थली पर हर साल 19 फरवरी को बहुत बड़ा मेला लगता है। कोने-कोने से उनके अनुयायी यहां पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसीलिए यहां न केवल सिर झुकाया बल्कि जन्मस्थली पर लगभग 46 करोड़ रुपए की परियोजना का शिलान्यास किया। इस प्रोजेक्ट में रविदास मंदिर में पार्क, लंगर हॉल और संत रविदास की भव्य प्रतिमा शामिल है।
क्यों अहम हैं रविदास
संत रैदास भारत के एकमात्र ऐसे संत हैं जिनकी देश के हर कोने में मान्यता है। इन्हें अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। पंजाब में इन्हें रविदास उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में रैदास, गुजरात, महाराष्ट्र में रोहिदास और पश्चिम बंगाल रुइदास के नाम से इन्हें पूजा जाता है। कुछ जगहों पर इन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास भी कहा जाता है। हर जगह दलितों ने इन्हें अपने आराध्य देव के रूप में आत्मसात किया है। कांशीराम रविदास की महत्ता जानते थे इसलिए वह सीरगोवर्धन को राष्ट्रीय क्षितिज पर उभारना चाहते थे। अब पीएम मोदी की पैनी नजर उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और हरियाणा तक है। इन सभी जगहों में बड़े पैमाने पर संत रविदास के अनुयायी है। यहां की सियासत में रैदासियों का बड़ा रोल रहता है। इन्हें लुभाने के लिए पीएम मोदी ने मायावती के सपने में रंग भरने की कोशिश की है।
Ravidas
नजर दलित वोटों पर
रैदासियों और संत रविदास के अनुयायियों पर डोरे डालने के लिए ही सभी पार्टियां संत रविदास को अपना बताने में तुली हुई हैंं।
पंजाब- 35 फीसदी
उत्तर प्रदेश- 21 फीसदी
हरियाणा-12 फीसदी
पश्चिम बंगाल- 10 प्रतिशत
कौन थे रविदास
रैदास का पेशे से मोची थे। वह जूते बनाते थे और उसकी मरम्मत करते थे। वह दलित के घर जन्मे थे। समाज जिसे चमार के नाम से जानता है। रैदास अपने पेशे और जाति को लेकर किसी प्रकार की आत्महीनता का शिकार नहीं थे। उन्होंने अपने पद, बानी और सबद में इसका कई बार उल्लेख किया। उनके लिए कहा जाता है – मन चंगा तो कठौती तो में गंगा। गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित रैदास जी के कुछ पदों में उनकी जाति का वर्णन इस तरह मिलता है- ऐसी मेरी जात बिखिआत चमारं, हिरदै राम गोबिंद गुन सारं।
रविदास मंदिर की ताकत
1965-सीरगोवर्धन गांव में मंदिर का शिलान्यास
1975-संत रविदास का भव्य मंदिर बन कर तैयार
1997-मायावती में स्मारक स्थल और पार्क की योजना बनायी
2016- दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी माथा टेकने पहुंचे
2018- सीएम योगी आदित्यनाथ ने चंद्रग्रहण के बावजूद मंदिर में लंगर छका
2019- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 46 करोड़ की परियोजनाओं का किया शिलान्यास
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